Friday, November 18, 2016

वक़्त का करवट___



कहते हैं रिश्ते ऊपर वाला बनाता है

ऐसा ही मेरा एक रिश्ता है जो खून का नहीं पर आत्मीय रिश्ता है... जो मेरा अपना है.. जिसे कभी खोने की सोच से ही सहम सा जाता हूँ... और चारो दिशाओं में अँधेरा सा छाने लगता है.. मन उदास हो जाता है... और आँखों में एक बेरंग गंगाजल उफान लेकर आता है और अंतरआत्मा को कचोटता हुआ आँखों को भिगो देता है...

ये संसार का सबसे पवित्र रिश्ता "भाई-बहन" का है...

जिनकी कुछ पुरानी यादें एक अद्भुत सी ख़ुशी दे देती हैं.........

जो जिद करके अपनी बात सुना जाती थी
"भय्यू भय्यू भय्यू भय्यू सुनो पहले मेरी बात" और मन तुरंत एकाग्र होकर बाते सुनने में जुट जाता था....

वो आवाज जो एकदम मीठी सी मुस्कान लिए कहती थी "भय्यू सुन लो plz" और पल भर में कई नाम दे देती थी...

जो मन से मन के तार को जोड़े रहती थी...

जिसका जिक्र होते ही भरोषा हो जाता था कि बस अब कॉल आ जाएगा...

जो बिना रुके बिना थके अपने भाई की खुशियों के लिए लगातार मन्नतें मांगनी सुरु कर देती थी..
भगवान् भी उन मिन्नतों के सामने माथा टेक देता था जो अटूट और अमिट सा प्रेम दीखता था वो पता नहीं क्यूँ खोया सा लगने लगा है पता नहीं क्यूँ और किसकी नज़र लग गयी है उस प्रेम को..........

अब वक़्त का इस तरह करवट ले
लेना भी मन को बहुत दुखी करता है...
समझ नहीं आता कि आखिर
क्या गुनाह है????
और कैसी सज़ा है?????
और क्यूँ?????
जो ऐसे अपनों से दूर कर देता है...

हे ईश्वर तू मुझे शक्ति दे जिससे मैं
उन यादों में अपने आपको ना टटोलूं...
मैं इस समय के चक्र को सह सकूँ...
मैं उबर जाऊँ इस सदमे से जो मुझे
मौत के मुह में धकेल रहा है...
मैं लड़ सकूँ अपने आपसे...
मैं सह सकूँ और मान लूँ कि जो था
वो अब नहीं है...
मैं समझ जाऊं जो कोई मुझे समझाना चाहे...
मैं रोक लूँ खुद के तकिये को अपने इन आंसुओं से भिगो देने से...
मैं संभल जाऊं मुझे ताकत दे ईश्वर...
मेरा साथ दे दाता.. मेरा साथ दे....।।।।।।।

Sunday, June 19, 2016

पिता दिवस २०१६ (father's Day 2016)



आज हम उस शख्सियत के बारे में लिख
 रहे हैं जो स्कूल या कॉलेज के चक्कर
तब तक लगाता है जब तक उसके बेटे
का उस कॉलेज या स्कूल में
प्रवेश(अड्मिशन) ना हो जाए...

बात करेंगे उस सख्सियत का
जो हर मुश्किल में लड़ना सिखाये,,,
उस महान हस्ती का जो हर कदम
पर ऊँचे से ऊँचे उड़ानों को छूना सिखाये,,,
उस व्यक्तित्व का जो हर हाल में ज़िन्दगी
की कठिनाइयों से लड़कर अपने बच्चों
को खुश रहना सिखाये,,,,

ये इस सृष्टी की वो महान हस्ती है
जिसके बिना जीवन के निर्माण की कल्पना अधूरी है...

ऐसा तेज है इसके आशीर्वाद में
कि सारी कायनात एक तरफ हो जाए
और इस महान हस्ती का आशीर्वाद एक तरफ हो जाए,,,,
फिर भी आपको तनिक भी आंच ना आएगी,,,,

ऐसी ऊर्जा है की रस्ते के हर अँधेरे को चीरता हुआ
आपको आपकी मंजिल तक पहुंचा देता है,,,,

ऐसा भाव है जो आपके पैदा होते ही
ठिठक ठिठक कर रो पड़ता है,,,,,

ये सख्सियत ऐसी है जो खुद की इच्छाओं का
हनन करते हुए परिवार की इच्छा पूर्ति करते हैं,,,,

कुछ कहते हैं की पिता कठोर होते हैं
मैं कहता हूँ गलत कहते हैं वो लोग...

पिता जितना सरल इस संसार में कुछ नहीं है..............

।। पिता दिवस की सभी को हार्दिक बधाई ।।




Sunday, May 8, 2016

ममता दिवस की हार्दिक बधाई


#_माँ के कई नाम...

उन्ही नामो में से एक नाम है

****ममता****

ममतामयी माँ को प्रणाम

आज कोई कविता नहीं लिखने का मन है... 
आज सिर्फ उसकी ममता लिखने का मन है...

इस धरा पर अगर आपको कहीं सबसे ज्यादा 
सुकून मिलेगा तो वो जगह है 
"माँ" की गोंद...

"माँ" सृष्टि में आई हुयी एक ऐसी रचना जिसको बनाने 
के बाद ईश्वर भी असंतुष्ट हो गया...
और ईश्वर को समझ नहीं आया की आखिर क्या है इस माँ में
जो संसार सिर्फ माँ के गुण गाता है... 
तब ईश्वर खुद अनेको बार अनेक रूपों में इस 
ममतामयी माँ के लिए इस जहाँ में जन्म लिया 
और माँ के प्रेम को समझने की कोशिश की...

जब ईश्वर को माँ को समझने के लिए कई 
जन्म लेने पड़े तो हम सिर्फ इंसान हैं....

सिर्फ माँ_पिता की सेवा करते रहिये
कुछ जानने की आवश्यकता नहीं है...
माता_पिता को खुश करने वाले बच्चों को
दुनिया में कभी असफलता नहीं मिलती....
संसार में सबसे मजबूत व्यक्तित्व है माँ...

माँ के लिए क्या क्या लिखे
थोड़ा लिखे ज्यादा लिखे कितना लिखें..
कलम रुक जायेगी 
पन्ने खत्म हो जाएंगे..
फिर भी हम माँ के गुणों को लिख नहीं पाएंगे...

बस सदैव अपने माँ_बापू से प्रेम करते रहिये 
और उनका प्रेम और आशीर्वाद लेते रहिये....

ममता_दिवस पर सभी भाई बंधुओं को हार्दिक शुभ कामनायें..

राज उपाध्याय



Wednesday, April 27, 2016

यादें, स्मृति..


अपने बीते कल की ओर मुड़कर देखने की चाह हर मन में होती है ।
तभी तो यादें हमारे ह्रदय में स्थान पातीं हैं । जीवन का सहारा
बनती हैं। खट्टी हों या मीठी स्मृतियाँ सदा अपनी सी लगती
हैं । बैठे बैठे कभी मन ही जीवन के संस्मरण दोहराने लगता है तो
कभी मस्तिष्क जान बूझकर उन यादों की गहराई तक ले जाता है
जो पीछे छूट गयीं हैं । जाने ह्रदय के कौन से कोने में इतना स्थान
खली पड़ा रहता है हर स्मृति को स्थान मिल जाता है । कितने
ही चरित्र और घटनाएं हमारे भीतर जीवंत बनी रहती हैं । कभी
कचोटती हैं तो कभी मुस्कुराहटें बिखेर देती हैं । स्मृतियाँ यह
सिखाती समझाती हैं कि जीवन आगे बढ़ता है पर पीछे कुछ नहीं
छूटता ।
स्मृतियाँ चाहे अनचाहे मन की चौखट पर दस्तक दे ही देती हैं ।
अधिकार जताती हैं और हमारे समय और ऊर्जा को लेकर स्वयं
को पोषित करती हैं । इन्हें तो हमारा दखल भी बर्दाश्त नहीं ।
जितना उपेक्षित करो उतनी ही दृढ़ता मन के द्वार खटखटाती
हैं । यादों के आगे मन की विवशता भी देखते ही बनती है । जब
चाहकर भी इनकी अवहेलना नहीं की जा सकती । बिना झाड़ -
पौंछ ही ये नई सी रहती हैं, इन्हें विस्मृत किया ही नहीं जा
सकता ।
शाम ढले अँधेरे में बैठे बैठे यूँ ही किसी का मन बीते दिनों को
यात्रा पर निकल पड़ता है तो कोई यात्रा करते हुए जीवन की
स्मृतियों में डूब जाता है । कभी हकीकत का कड़वा घूँट और
कभी कल्पना से भी परे एक मिठास । स्मृतियाँ कुछ विशिष्ट
होती हैं । हमारी सफलता असफलता के साथा ही दृढ़ता और
समझौते सभी कुछ सहेजे यादें पुरानी नहीं पड़तीं । कभी कभी
लगता है जीवन जिस गति से आगे बढ़ता है बीता समय उसके साथ
इतना तालमेल कैसे बनाये रखता है । कितने ही दर्द कितनी ही
पीड़ाएं जाने कल ही बात हों । सदा जीवंत रूप में साथ चलती हैं
। कितने ही सुख, कितनी ही खुशियां मन को घेरे रहती हैं ।
स्मृतियाँ दुःख को समेटे हों या सुख को । एक बात हमेशा देखने
में आती है कि इन्हें सहेजना हमें एक सुखद अनुभूति देता है ।
जीवन का ऐसा बहुत कुछ जो देखा-जिया हो, हम स्वयं से छूटने नहीं
देना चाहते । चाहे उसमे पीड़ा हो या प्रेम । स्मृतियों के रूप में
बीते जीवन को जीना और याद करना हर मन को सुहाता है ।
स्मृतियों के सागर में उठते गिरते रहने का भी अपना आनंद है ।
तभी तो कभी यूँ बैठकर यादों का पिटारा खोल अपनों से
बतियाना कितना आनंददायी लगता है ।
स्मृतियाँ प्राणवान होती हैं । जीवंत और अनमोल। हमें जीना-
सोचना सिखाती हैं । हमारे अपने ही जीवन को सम्बोधित
यादें बीते कल का प्रतिबिम्ब बन हर क्षण हमारे सामने रहतीं हैं ।
स्मृतियाँ बारम्बार यह आभास करवाती हैं कि न तो इन्हें
भुलाया जा सकता है और न ही बिसराना कभी सम्भव हो
पाता है । ये तो साथ चलती हैं जीवन भर । तभी तो स्मृतियों के
ये बिखरे सूत्र हमें सदैव बांध कर रखते हैं, अपने आप से । सम्भवतः
इसीलिए हम उन्हें कभी विदा नहीं कर पाते और ये स्वयं तो
विदा लेना ही नहीं चाहतीं ।



Monday, March 28, 2016

मुझे देख कर आप हँसते क्यों हैं भाई

~मुझे देख कर आप हँसते क्यों हैं भाई~

वाकया है मुम्बई के अँधेरी स्टेशन पर
भेल बनाने वाले भाई साहब का..

दरसल मैं जब भी शाम को अँधेरी
स्टेशन उतरता हूँ तो भेल वाले बंधु
से एक मीठा भेल जरूर खाता हूँ,,,

ऐसे ही जब मैं वहाँ पहुँचता हूँ तो वो
हंस देते हैं...

मैंने एक दिन पूछा कि
"मुझे देख कर आप हँसते क्यों हैं भाई"

तो बंधू ने रिप्लाई दिया
"पता नहीं भाई बस ऐसे ही हंस देता हूँ"

मैंने फिर मुस्कराते हुए पूछा..
फिर भी क्यों हंस देते हो भाई कोई तो
कारण होगा..?
उन्होंने कहा नहीं भाई कोई कारण नहीं है
मैं बस ऐसे ही हंस देता हूँ...

फिर मैंने भेल लिया और वहां से खाते
हुए घर की तरफ निकल आया..
लेकिन उनसे सवाल करने के बाद मैं मन
ही मन खुश हो रहा था और मुझे पता था
वो भाई क्यूँ हँसते हैं लेकिन वो समझ नहीं
पा रहे थे या यूँ समझिये उनके पास भीड़
रहती है तो समय नहीं रहा होगा जवाब का...

दरसल मेरी एक आदत है मैं हमेशा हँसते
हुए मिलता हूँ शायद वो इसीलिए हंस देते
हैं क्यूंकि मैं उन्हें देखते ही मुस्कुराने लगता
हूँ और वो तुरंत हँसते हुए भेल बनाने लगते है...

दोस्तों मैं ये पोस्ट ना लिखता but सोचा लिख दूँ...

आप सब भी हमेशा हँसते हुए मिलो लोगों से..
किसी के चेहरे पर मुस्कान ला देना बहुत अच्छी बात है..

हँसते रहो हंसाते रहो..
जीवन को सुखद बनाते रहो..

।।जय राम जी की।।

राज उपाध्याय





~दोस्ती~



~दोस्ती~

~ ~बहुत छोटा लेकिन हद से भी ज्यादा बड़ा शब्द~ ~

दोस्ती शादी से पहले बहुत अच्छे से निभा पाते हैं..
शादी होते ही कुछ दोस्त जोरू के गुलाम बन जाते हैं...

माना की ज़िन्दगी में बहुत महत्वपूर्ण होती है ये जिम्मेदारी..
लेकिन इतना भी नहीं कि भूल जाओ दोस्ती की ईमानदारी..

एक दोस्त ने कहा कि "राज" सही बात है
परिवार को समय देना चाहिए..
मैंने कहा हाँ भई अवश्य देना चाहिए..
हम कहते हैं पहले आप घर में माँ-पापा
भाई बहन को 100% से 40% समय देते थे
और दोस्त को 20% देते थे और बाकी
के 40% जॉब पर तो अब 20% ना सही
10% ही समय दो लेकिन समय दो जरूर..

गुलाम बनो.. लेकिन जैसे बीवी के बन
रहे हो वैसे माँ बाप के भी बनो तो सही लगे..

अब 10% क्या पॉइंट 01% भी समय नहीं हैं
उस दोस्त के लिए जो तुम पर जान छिड़कता हो..

लेकिन अब समझ आया इस फरेबी
दुनिया में मीठा बोलकर भी ठगा जाता है..

यार बड़ा प्यारा रिश्ता है इसे दागदार ना किया जाए..
इसे ऐसे ही प्यारा सा मीठा सा रहने दिया जाए..

दुनिया में सच्चे दोस्त बहुत कम मिलते हैं..

यहाँ सच्ची दोस्ती के प्यारे फूल बहुत कम खिलते हैं.. 

निभाओ इसे है जब तक जान..

नहीं होता कोई रिश्ता इससे महान..

""बीवी के पल्लू के बाहर भी दुनिया है मेरे दोस्त...
अभी से देख लीजिये कहीं ऐसा ना हो जब जरुरत
पड़े तब बहुत देर हो जाए""..

मैं थोड़ी अपनी भी तारीफ़ कर देता हूँ..
मैं बहुत गंभीर रहता हूँ इस रिश्तों कि दुनिया में..
जो मुझे जानते हैं वो ये भी जानते हैं की मैं कैसे
निभाता हूँ हर रिश्ते को..
चाहे वो दोस्ती हो या फिर कोई और रिश्ता...
मैं किसी भी कीमत पर अपने साथ जुड़े हुए हर
रिश्तों को बनाकर रखने की हर संभव कोशिश करता हूँ..

लेकिन मेरा एक दोस्त इसे पागलपन समझता है..
वो कहते हैं ना कि जब तक अपने पास कुछ
होता है तब तक क़द्र नहीं करते लेकिन
जब वह दूर होता है तो सब समझ आता है...

सभी को एक सलाह है दोस्तों हर चीज लिमिट में करो
बस प्रेम को छोड़कर क्यूंकि प्रेम अनलिमिटेड ही करना चाहिए..
और दोस्ती उतने तक रखो कि अगर दोस्त वक़्त और हालात
का बहाना लेकर बदल भी जाए तो आपको दुःख ना हो..
वर्ना ये ऐसी पीड़ा है कि इंसान बहुत टूटने लगता है...

मेरे एक दोस्त को लगता है कि वो इमोशनल होकर
बोल देते है तो मैं नहीं समझ पाता..
मेरे सखा, मेरे मित्र, समझता तो मैं हर बात हूँ बस अनजान
बना रहता था कि हो सकता है अब समझ जाओ आप लेकिन
आप मदमस्त हैं मदमस्त ही रहिये.. खुश रहिये..

दोस्तों इस भीड़ भरी दुनिया में
रिश्ते बनाना मत सीखो बल्कि जो हैं उन्हें निभाना सीखो..

एक बदलते हुए दोस्त को समर्पित।

राज उपाध्याय 

Friday, March 11, 2016

तू मेरी है तो मुझे होने का पता दिया कर..

जलाके शाम से इस तरह मत भुला दिया कर..
चराग़ हूँ मैं मुझे सुबह में बुझा दिया कर..

ज़मीं-ए-इश्क़ से काट कर मैं रह नहीं सकता..
मुझे उखाड़ मगर फिर वहीँ लगा दिया कर..

गले लगा के मुझे प्यार कर झगड़ मुझसे
तू मेरी है तो मुझे होने का पता दिया कर..

मैं तेरे पास बहोत थक थका के आता हूँ..
तू अपनी गोद में लेकर मुझे सुला दिया कर..

मैं चाहता हूँ के बंट जायें तेरे सुबह के काम
अगर मैं सोया रहूँ तो मुझे जगा दिया कर..

तमाम दिन मैं गुज़ारू तेरे ख़ुमार के साथ
मैं घर से चलने लगूँ तो मुझे नशा दिया कर..

तेरी पनाह के बाहर हैं हादसे मेरी जान
मैं तुझसे बिछडु तो माँ की तरह दुआ दिया कर..

छुपा के अपनी निगाहों में हर घड़ी मत रख,
कभी कभार मुझे तू कहीं गंवा दिया कर...





Tuesday, February 23, 2016

माँ मैं तेरी यादों में, अब भी छुप छुप कर रोता हूँ>>>>

माँ

बिस्तर को तेरी गोद समझकर ,
बड़े जतन कर सोता हूँ,
माँ मैं तेरी यादों में,
अब भी छुप छुप कर रोता हूँ. . .

तेरे आँचल की खुशबू माँ,
मुझे यहाँ भी आती है,
देती है ये सुकून मुझे,
जब दुनिया मुझे रुलाती है,
तु आकर आंसू पोंछेगी
ये सोच बेवजह रोता हूँ,
बिस्तर को तेरी गोद समझकर,
बड़े जतन कर सोता हूँ,
माँ मैं तेरी यादों में
अब भी छुप छुपके रोता हूँ...

जी कर अपने सपनों को,
हर शाम जो घर को आता हूँ,
नहीं दिखता तेरा हँसता चेहरा माँ,
गम से मैं भर जाता हूँ,
जो सोता हूँ तो सोचता हूँ,
माँ पास मेरे तु आयेगी,
वो बचपन वाली लोरी माँ,
रख गोद में सिर, सुनायेगी,
तेरे हाथों की चाय बिना,
हर नई सुबह पुरानी लगती है,
सब पाके भी दुनिया से,
दुनिया बेगानी लगती है,
सब छिन ले मुझ से रब मेरे,
पर बिन माँ न मैं जी पाता हूँ,
बिस्तर को तेरी गोद समझ कर,
बड़े जतन कर सोता हूँ,
माँ मैं तेरी यादों में,
अब भी छुप छुपके रोता हूँ...

Friday, February 12, 2016

सारे जग से अनोखा मेरा ऐसा एक भाई है...

सारे जग से अनोखा मेरा ऐसा एक भाई है...

मेरे सपनों का चित्रहार,
मेरी खुशियों का उपहार,
दिल की जमीं पर अपनेपन
की गहरी छाप...
जिसे देखकर लब मुस्कुराने
को बेबस हो उठे अपने आप...
हंसी की अभिव्यक्ति उसके
होंठों पे समायी है...
सारे जग से अनोखा मेरा
ऐसा एक भाई है...

मस्ती की धुन उसके जीने का
उसके ख्वाबों का बिछौना है...
वो ईश्वर का बनाया हुआ सबसे
प्यारा खिलौना है...
कुदरत का करिश्मा है उस रब
की खुदाई है...
सारे जग से अनोखा मेरा
ऐसा एक भाई है...

ख्वाहिशों की गजल का तराना है वो...
एक खूबसूरत कल्पना के प्यारे से
एहसास का अफसाना है वो...
वो मेरी आत्मा है जीवन है मेरी
सांसो की डोर है...
सपने की उम्मीद आशाओ का
ओर छोर है...
कितने अधूरे रह गये वो पल जब
मेरा भाई मेरे साथ ना था...
अनछुआ सा रह गया बचपन का
कोई हिस्सा जब मेरे सर पे उसका हांथ ना था...
उसके बिना मेरे अपनों की
महफिल परायी है...
सारे जग से अनोखा मेरा ऐसा
एक भाई है...

वो हंसता है हंसाता है मेरी
हर बात सुनता है...
मेरे सपनों को अपनी पलकों
में बुनता है...
अपने अंदाज में जिन्दगी को
जीना सिखाता है..
हर निहस्वार्थ रिश्ते को दिल से
निभाता है...
सारी दुनिया से अजब की यारी
निभाई है...
सारे जग से अनोखा मेरा ऐसा
एक भाई है...

वो कभी उदास ना हो गमों की
परछाई भी उससे दूर हो जाये...
आंखों में हंसी का मोती चमकता
नूर हो जाये...
मेरा भाई बहुत प्यारा है मेरे
भगवान का दुलारा है,
रब करे वो इस जहां का सबसे
अनमोल कोहिनूर हो जाये...

उसके दामन में लाखों दुआये बिछाई है...
सारे जग से अनोखा मेरा ऐसा एक भाई है...

मेरे हिस्से की सारी खुशियां मिल जाये,
उसकी सांसो में मेरी जान है...
जिन्दगी से ज्यादा मायने अहमियत है उसकी,
वो मेरे लिये अनमोल तोहफे का एहसान है..
गर तू है खुदा कहीं तो मेरे भाई
को कभी निराश ना करना...
उसकी उम्मीदों को कभी हताश
ना करना...
देना उसके हक में आने वाली हर
अजीज खुशियां,
भूलकर भी कभी उसे उदास ना करना...

उसे खुश रखना हमेशा
उसकी मुस्कान से ही ये समां ये कायनात खिलखिलाई है...
सारे जग से अनोखा मेरा ऐसा एक भाई है...

बस मेरा भाई सदा ऐसे मेरे पास रहे...
एक दूजे से पावन प्रेम निश्छल विस्वास रहे...
संजोयी रहे हर एक याद मेरी स्मृति में,
भाई के प्यार का प्यारा सा एहसास रहे...

मसीहा है इन्सानियत का प्रभु का वरदान है...
मेरे गौरव की गरिमा अपनों का सम्मान है...
उसी से शुरू है दुनिया हमारी
उसी से हमारी इस जहां से रिहाई है...
सारे जग से अनोखा मेरा ऐसा एक भाई है...

रिटेन by स्वीटी क्यूटी प्याली प्याली सिस्टर श्रद्धा (बिट्टो)

मेरी आरजू मेरा मान है वो.. वो मेरा भाई मेरी जान है वो...

मेरी आरजू मेरा मान है वो।
वो मेरा भाई मेरी जान है वो।।

हर दर्द में साथ निभाता है।
जब रोऊँ मुझे हंसाता है।।
सबसे प्यारा सबसे अपना,
मेरी ख़ुशी मेरा अभिमान है वो।
मेरी आरजू मेरा मान है वो।।

सुनी सुनी हर सुबह लगे,
जब वो मायूस हो जाता है।
हर पल रूठा रूठा सा लगे,
जब रूठ वो मुझसे जाता है।।
हर पल में उसको ख़ुशी मिले,
आखिर मेरी मुस्कान है वो।
मेरी आरजू मेरा मान है वो।।

मेरा भाई मूरत अच्छाई का,
अद्भुत है जग से न्यारा है।
जहां रहे वहाँ मुस्कान रहे,
दुनिया में सबसे प्यारा है।।
दया भाव से भरा हुआ,
करुणा और प्यार की खान है वो।
मेरी आरजू मेरा मान है वो।।
मेरा भाई मेरी जान है वो।।

मेरी बहन रश्मि पाण्डेय की कलम से मेरे प्रति उनका प्रेम।

Friday, February 5, 2016

बहुत हुआ है यारा तेरा... अब कर दे बंटवारा मेरा...

क्या रखा है इस जीवन में..
आग लगे जल्दी इस मन में..

बहुत सताती दुनिया यारा..
अपना है अब कौन सहारा..

हँसते हँसते कब रो देंगे..
कब कैसे किसको खो देंगे..

नहीं पता क्या कैसा सबकुछ..
क्या अजीब दुनिया है सचमुच..

रोना पल-पल खोना पल-पल..
कैसी माया कैसा दलदल..

यूँ ही अब हम अश्क बहाते..
अब क्यों ना हम मर ही जाते..

कैसा कागज़ कैसी कश्ती..
कैसा मतलब कैसी हस्ती..

ज़िन्दगी तूने बहुत निचोड़ा..
दिल को तूने बहुत मरोड़ा..
तूने तो सब कुछ कर डाला,
जीने को कुछ भी ना छोड़ा..

बहुत हुआ है यारा तेरा..
अब कर दे बंटवारा मेरा..
ले जा मिटटी का ये तन तू,
मुझे साँस है प्यारा मेरा..
कर दे तू छुटकारा मेरा..
अब कर दे बंटवारा मेरा........
अब कर दे बंटवारा मेरा.................

राज उपाध्याय