मन की बात
मैं काफी दिनों से सोच रहा था की मैं यहां लिखूं या नहीं लिखूं लेकिन आज रहा नहीं गया और आप सबके बीच अपने मन की बात रख रहा हूँ..
दरसल मैं बचपन में पुणे जिला के एक शहर लोनावला में लायंस पॉइंट पर चाय और भजिया बेचता था...
वहाँ मेरा नाम राहुल था और मैं बहुत फेमस भी हो गया था..
तब मेरे चाचा जी(मालिक) को देखता था जो एयरफोर्स में हैं
(उनका ये साइड बिज़नस था) वो भी जब समय मिलता तो आते और मुझे काम के प्रति और जागरूक करते थे और बहुत सपोर्ट करते और उत्साहित करते थे...
दिन भर कहते रहते बेटा फालतू पैसे मत खर्च करो..
जवाबदारी से काम करो..
तब मुझे मन ही मन में लगता था की वो कंजूस हैं..
हर वक़्त पैसे बचाने की बात करते हैं..
लेकिन अब मुझे लगता है की वो क्यों समझाते थे..
अब मुझे धीरे धीरे बहुत कुछ समझ में आने लगा है..
अब पता चला की अंकल ऐसा क्यों कहते थे..
मेरा कहना सिर्फ इतना मात्र है की आज जो माँ बाप के पैसे को फिजूल खर्च कर रहे हैं वो ना करें..
उसका सही उपयोग करें
वरना समय बदलते देर नहीं लगती।
राज उपाध्याय
मैं काफी दिनों से सोच रहा था की मैं यहां लिखूं या नहीं लिखूं लेकिन आज रहा नहीं गया और आप सबके बीच अपने मन की बात रख रहा हूँ..
दरसल मैं बचपन में पुणे जिला के एक शहर लोनावला में लायंस पॉइंट पर चाय और भजिया बेचता था...
वहाँ मेरा नाम राहुल था और मैं बहुत फेमस भी हो गया था..
तब मेरे चाचा जी(मालिक) को देखता था जो एयरफोर्स में हैं
(उनका ये साइड बिज़नस था) वो भी जब समय मिलता तो आते और मुझे काम के प्रति और जागरूक करते थे और बहुत सपोर्ट करते और उत्साहित करते थे...
दिन भर कहते रहते बेटा फालतू पैसे मत खर्च करो..
जवाबदारी से काम करो..
तब मुझे मन ही मन में लगता था की वो कंजूस हैं..
हर वक़्त पैसे बचाने की बात करते हैं..
लेकिन अब मुझे लगता है की वो क्यों समझाते थे..
अब मुझे धीरे धीरे बहुत कुछ समझ में आने लगा है..
अब पता चला की अंकल ऐसा क्यों कहते थे..
मेरा कहना सिर्फ इतना मात्र है की आज जो माँ बाप के पैसे को फिजूल खर्च कर रहे हैं वो ना करें..
उसका सही उपयोग करें
वरना समय बदलते देर नहीं लगती।
राज उपाध्याय