जलाके शाम से इस तरह मत भुला दिया कर..
चराग़ हूँ मैं मुझे सुबह में बुझा दिया कर..
ज़मीं-ए-इश्क़ से काट कर मैं रह नहीं सकता..
मुझे उखाड़ मगर फिर वहीँ लगा दिया कर..
गले लगा के मुझे प्यार कर झगड़ मुझसे
तू मेरी है तो मुझे होने का पता दिया कर..
मैं तेरे पास बहोत थक थका के आता हूँ..
तू अपनी गोद में लेकर मुझे सुला दिया कर..
मैं चाहता हूँ के बंट जायें तेरे सुबह के काम
अगर मैं सोया रहूँ तो मुझे जगा दिया कर..
तमाम दिन मैं गुज़ारू तेरे ख़ुमार के साथ
मैं घर से चलने लगूँ तो मुझे नशा दिया कर..
तेरी पनाह के बाहर हैं हादसे मेरी जान
मैं तुझसे बिछडु तो माँ की तरह दुआ दिया कर..
छुपा के अपनी निगाहों में हर घड़ी मत रख,
कभी कभार मुझे तू कहीं गंवा दिया कर...
चराग़ हूँ मैं मुझे सुबह में बुझा दिया कर..
ज़मीं-ए-इश्क़ से काट कर मैं रह नहीं सकता..
मुझे उखाड़ मगर फिर वहीँ लगा दिया कर..
गले लगा के मुझे प्यार कर झगड़ मुझसे
तू मेरी है तो मुझे होने का पता दिया कर..
मैं तेरे पास बहोत थक थका के आता हूँ..
तू अपनी गोद में लेकर मुझे सुला दिया कर..
मैं चाहता हूँ के बंट जायें तेरे सुबह के काम
अगर मैं सोया रहूँ तो मुझे जगा दिया कर..
तमाम दिन मैं गुज़ारू तेरे ख़ुमार के साथ
मैं घर से चलने लगूँ तो मुझे नशा दिया कर..
तेरी पनाह के बाहर हैं हादसे मेरी जान
मैं तुझसे बिछडु तो माँ की तरह दुआ दिया कर..
छुपा के अपनी निगाहों में हर घड़ी मत रख,
कभी कभार मुझे तू कहीं गंवा दिया कर...