Wednesday, March 4, 2015

बेरहम दुनिया

यातनाओं के संग्रह का बुने तानाबाना ,
ये बेरहम दुनिया ये निर्मम जमाना.

जो खुश होता है अपने छोटे से आशियाने मे,
ना जाने क्यूं वो चुभता है आंखो मे जमाने के,
"चाहता नही कोई उसे सुखी संतुष्ट देख पाना "
ये बेरहम दुनिया ये निर्मम जमाना.

स्वयं ही सदा जो नेकी की राह चलता है,
अनुशाशित नियमों का यथार्थ पालन करता है,
"फिर भी सब चाहते है उसी को सिखाना"
ये बेरहम दुनिया ये निर्मम जमाना.

जिह्वा से लोग जब तीक्ष्ण व्यंग वार करते है,
हृदय मे वो शब्द कटार से चुभते है,
" होता है बस परिस्थितियों से समझौता कर रो के रह जाना "
ये बेरहम दुनिया ये निर्मम जमाना.

विषधरों की नगरिया मे बसते है हम,
आदतन एक दूजे को डंसते है हम,
"प्रेम का सावन हुआ पतझड़ वीराना "
ये बेरहम दुनिया ये निर्मम जमाना.

पग पग पर होते छलावे यहां,
प्यार के रह गये बस दिखावे यहां,
"आवरण पर चढे आवरण रेश्मी
मुश्किल हुआ अब इससे निकल पाना "
ये बेरहम दुनिया ये निर्मम जमाना.

बांध विस्वास के टूट कर बह गये,
मर्यादा के पुल भी बिखर ढह गये,
"संस्कारो का सिलसिला हुआ है बेमाना "
ये बेरहम दुनिया ये निर्मम जमाना.

ना होगा साथ कोई अकेले बढो तुम,सफलता तुम्हारे कदम चूम लेगी,
अगर जी सको तो जियो झूमकर तुम,प्रखरता तुम्हारे कदम चूम लेगी,
"पडेगा स्वयं ही उम्मीदों की वर्तिका जलाना "
ये बेरहम दुनिया ये निर्मम जमाना.

नेकी ने झेला सदा ही बुराई को अब शांति की क्रांति लानी है,
इस मजहब के रेले मे चाहत की गंगा बहानी है,
"समझौते का अब नही है ठिकाना  "
ये बेरहम दुनिया ये निर्मम जमाना.

नन्हा दिया भी कुछ देर टिमटिमाता है,
डूबता हुआ सूरज  भी कुछ देर फर्ज निभाता है,
"कोई  साथ दे ना दे कारवां मिले ना मिले ,
हमे बस अनवरत चलते ही जाना "
नही जीने नही देगी ये बेर हम दुनिया ये निर्मम जमाना.

' यातनाओ के संग्रह का बुने तानाबाना,
ये बेरहम दुनिया ये निर्मम जमाना '

मेरी बहन लेखक:- श्रद्धा पाण्डेय