Tuesday, February 23, 2016

माँ मैं तेरी यादों में, अब भी छुप छुप कर रोता हूँ>>>>

माँ

बिस्तर को तेरी गोद समझकर ,
बड़े जतन कर सोता हूँ,
माँ मैं तेरी यादों में,
अब भी छुप छुप कर रोता हूँ. . .

तेरे आँचल की खुशबू माँ,
मुझे यहाँ भी आती है,
देती है ये सुकून मुझे,
जब दुनिया मुझे रुलाती है,
तु आकर आंसू पोंछेगी
ये सोच बेवजह रोता हूँ,
बिस्तर को तेरी गोद समझकर,
बड़े जतन कर सोता हूँ,
माँ मैं तेरी यादों में
अब भी छुप छुपके रोता हूँ...

जी कर अपने सपनों को,
हर शाम जो घर को आता हूँ,
नहीं दिखता तेरा हँसता चेहरा माँ,
गम से मैं भर जाता हूँ,
जो सोता हूँ तो सोचता हूँ,
माँ पास मेरे तु आयेगी,
वो बचपन वाली लोरी माँ,
रख गोद में सिर, सुनायेगी,
तेरे हाथों की चाय बिना,
हर नई सुबह पुरानी लगती है,
सब पाके भी दुनिया से,
दुनिया बेगानी लगती है,
सब छिन ले मुझ से रब मेरे,
पर बिन माँ न मैं जी पाता हूँ,
बिस्तर को तेरी गोद समझ कर,
बड़े जतन कर सोता हूँ,
माँ मैं तेरी यादों में,
अब भी छुप छुपके रोता हूँ...