Saturday, July 4, 2015

मेरी माँ जग से है प्यारी...

माँ जैसा ना कोई जग में..
इसकी महिमा है रग रग में..

माँ अतुल्य है इस जीवन में..
माँ का प्रेम बसा कण कण में..

माँ ही तो चलना सिखलाये..
धूप छाँव का ज्ञान कराये..

माँ की महिमा सबसे न्यारी..
मेरी माँ जग से है प्यारी..
मेरी माँ जग से है प्यारी...

स्वरचित- राज उपाध्याय