Monday, April 6, 2015

"प्रेम"



आज की कविता "प्रेम" पर

प्रेम में दुनिया गर समा जाए तो,,
प्रेम के रंग से गर रंगा जाए तो,,
प्रेम को बस मन ये जगा जाए तो,,
गर क्रोध को ये मन खा जाए तो,,

तो दुनिया में हर कोई प्रेम का दीवाना हो जाए,,
तो प्रेम का ही हर जगह ठिकाना हो जाए,,

प्रेम माँ के लिए प्रेम पिता के लिए,,
प्रेम राम के लिए प्रेम सीता के लिए,,
प्रेम भाई के लिए प्रेम बहन के लिए,,
प्रेम राधा और किशन के लिए,,

प्रेम में ही जियो प्रेम में ही मरो,,
जो भी करना है सब प्रेम से ही करो,,
सबको एक दूजे से प्रेम गर हो जाए तो,,
प्रेम में ही दुनिया गर खो जाए तो,,,

प्रेम सच्चा है दुनिया यही कहती है,
प्रेम के मन में खुशियाँ भरी रहती हैं,,
प्रेम ही प्रेम हो जाए सबको यहाँ,,,
प्रेम के बिना जीने का मज़ा है कहाँ,,,,

प्रेम नज़रों से होती और दिल में समा जाती है,,
जब कुछ न समझ आये तो प्रेम सब समझा जाती है,,

प्रेम शब्दों में, साँसों में, बातो में हो,,
प्रेम जीवन के हर मुलाकातों में हो,,
प्रेम ख़ुशी में भी हो प्रेम गम में भी हो,,
प्रेम जीवन के हर एक क्षण में भी हो,,

प्रेम की नइया पर हर कोई चढ़ो,,
प्रेम करके ही हर कोई आगे बढ़ो,,,,,,

कविता लेखक:- राज उपाध्याय