Thursday, April 24, 2014

जब दुनिया मेरे लिए बस स्कूल का रास्ता था..

जब दुनिया मेरे लिए बस स्कूल का रास्ता था..
वहीँ एक बच्चा स्कूल जाने को बेहद तरसता था..

जब अपने खिलौने तोड़ मई नए खिलौने के जिद किया करता था..
वही एक बच्चा अपना परिवार चलाने की लिए मिटटी के खिलौने बनाया करता था..

जब मै अपने छोटे छोटे कामो के लिए माँ पे निर्भर होता था..
वही एक बच्चा दिन भर काम कर थक के रात भर रोता था..

मैदान के खेल जहा हमें थकाते थे..
वहीँ उनके मालिक ना जाने उनको कितना भगाते थे..

आज प्रण लेता हूँ बाल मजदूरी के खिलाफ उठाऊंगा अपनी आवाज..
और कुछ ऐसा कर दिखाऊंगा की इश्वर को भी हो मुझपे नाज..

राज