---दहेज़ और समाज---
समाज में अगर आप दहेज़ लेंगे
तभी आपकी इज्जत बनती है,,
अगर दहेज़ नहीं लिए तो समाज
क्या कहेगा.???
और खासकर ये वही समाज
होता है जो भूखे रहने पर गरीब
को पानी नहीं देता है,,,
आक थू ऐसे समाज के
रखवालों पर,,,
दहेज़ लो तो ही मुह दिखाने
लायक हो... नहीं तो कहेंगे
तुम्हारी औकात नहीं है दहेज़
लेने की,,
कुछ सम्माननियोँ का कहना है
दहेज उन्हें ही मिलता है जो
उसके लायक हो,,,
अरे मैं कहता हूँ दहेज़ के लायक
तो सिर्फ भिखमंगे माँ बाप होते
हैं जो चन्द रुपयों के लिए खुद
को भी बेंच दे और ये तो बस बेटे
की बात है,,,,
अरे ढोंगियों शर्म करो,,,
एक पैसे की औकात नहीं और
दहेज़ चाहिए लाख रुपये की,,
गाडी चाहिए भले ही लाइसेंस
ना हो, भले ही पेट्रोल भराने की
औकात न हो,,
चैन चाहिए भले ही एक ग्राम
सोना की औकात न हो,,,
मांगेंगे चार लाख जैसे ज़िन्दगी
भर उसी से खाएंगे,,,
अरे भिखारियों औकात है तो
खुद के पैसे से बनाओ सब कुछ,,,
मेरे कुछ बड़े बुजुर्ग लोग मुझे
कन्वेंस करते हैं और कहते हैं
बेटा तुम्हारे बदलने से ये दहेज़-प्रथा
नहीं बदलने वाली है तुम अकेले
क्या कर लोगे,,
कुछ नहीं होता अकेले से...
ऐसे ही थोड़े दिन पहले एक मित्र
का कॉल आया,,,
अरे राज भाई कैसे हो..?
कहाँ हो भाई भूल गए एकदम
से...
बड़े आदमी बन गए तो हमें भूल
ही गए...
मैं मुस्कुराते हुए जवाब दिया
अरे नहीं भाई ऐसा कुछ नहीं है...
फिर दोस्त ने कहाँ सुना है
शादी के लिए लड़की देखे हो.??
मैंने कहा हाँ भाई देखा हूँ...
तो रिप्लाई आया यार ये भी पता
चला की लड़की कुछ ख़ास नहीं है...
मैंने कहा यार ये गलत बात है
और मेरे इतना कहते ही उधर
से दोस्त बोला कोई बात नहीं
यार डिमांड बढ़ा दे दहेज़ की
ज्यादा पैसा मांग ले और कर
ले शादी,,,
अब आप पैसे न लो तो आपमें
कमी है...
अरे थू है ऐसे लोगों पर...
मैं राज उपाध्याय चैलेन्ज के
साथ कहता हूँ बिना दहेज़ के
शादी करो अगर सर फक्र से
ऊंचा नहीं हुआ तो ज़िन्दगी भर
गुलामी करूँगा,,
लेकिन क्या करोगे भिखमंगो
वाली भूंख तो खुद में ही हैं और
झमेला समाज के नाम पर,,,,
ये सारी बातें स्पेशल्ली आज के
कुछ बुजुर्ग पर जो एक किलोमीटर
की लंबी जीभ निकाले मुह खोले
खड़े रहते हैं,,,
दुनिया की सारी भूंख इन बुजुर्गों की ही है,,,
अब हम इतना बोले हैं तो
हमको इ मुहर लग जाएगा कि
हम बुजुर्गों का सम्मान नहीं
करना जानते हमारे माता-पिता
ने हमें कुछ सिखाया नहीं,,
तो भईया सीधा सीधा बात है
मैं ऐसे बुजुर्गो का सम्मान नहीं
कर सकता बल्कि सामने आये
तो दो बात सूना जरूर दूंगा...
राज उपाध्याय
समाज में अगर आप दहेज़ लेंगे
तभी आपकी इज्जत बनती है,,
अगर दहेज़ नहीं लिए तो समाज
क्या कहेगा.???
और खासकर ये वही समाज
होता है जो भूखे रहने पर गरीब
को पानी नहीं देता है,,,
आक थू ऐसे समाज के
रखवालों पर,,,
दहेज़ लो तो ही मुह दिखाने
लायक हो... नहीं तो कहेंगे
तुम्हारी औकात नहीं है दहेज़
लेने की,,
कुछ सम्माननियोँ का कहना है
दहेज उन्हें ही मिलता है जो
उसके लायक हो,,,
अरे मैं कहता हूँ दहेज़ के लायक
तो सिर्फ भिखमंगे माँ बाप होते
हैं जो चन्द रुपयों के लिए खुद
को भी बेंच दे और ये तो बस बेटे
की बात है,,,,
अरे ढोंगियों शर्म करो,,,
एक पैसे की औकात नहीं और
दहेज़ चाहिए लाख रुपये की,,
गाडी चाहिए भले ही लाइसेंस
ना हो, भले ही पेट्रोल भराने की
औकात न हो,,
चैन चाहिए भले ही एक ग्राम
सोना की औकात न हो,,,
मांगेंगे चार लाख जैसे ज़िन्दगी
भर उसी से खाएंगे,,,
अरे भिखारियों औकात है तो
खुद के पैसे से बनाओ सब कुछ,,,
मेरे कुछ बड़े बुजुर्ग लोग मुझे
कन्वेंस करते हैं और कहते हैं
बेटा तुम्हारे बदलने से ये दहेज़-प्रथा
नहीं बदलने वाली है तुम अकेले
क्या कर लोगे,,
कुछ नहीं होता अकेले से...
ऐसे ही थोड़े दिन पहले एक मित्र
का कॉल आया,,,
अरे राज भाई कैसे हो..?
कहाँ हो भाई भूल गए एकदम
से...
बड़े आदमी बन गए तो हमें भूल
ही गए...
मैं मुस्कुराते हुए जवाब दिया
अरे नहीं भाई ऐसा कुछ नहीं है...
फिर दोस्त ने कहाँ सुना है
शादी के लिए लड़की देखे हो.??
मैंने कहा हाँ भाई देखा हूँ...
तो रिप्लाई आया यार ये भी पता
चला की लड़की कुछ ख़ास नहीं है...
मैंने कहा यार ये गलत बात है
और मेरे इतना कहते ही उधर
से दोस्त बोला कोई बात नहीं
यार डिमांड बढ़ा दे दहेज़ की
ज्यादा पैसा मांग ले और कर
ले शादी,,,
अब आप पैसे न लो तो आपमें
कमी है...
अरे थू है ऐसे लोगों पर...
मैं राज उपाध्याय चैलेन्ज के
साथ कहता हूँ बिना दहेज़ के
शादी करो अगर सर फक्र से
ऊंचा नहीं हुआ तो ज़िन्दगी भर
गुलामी करूँगा,,
लेकिन क्या करोगे भिखमंगो
वाली भूंख तो खुद में ही हैं और
झमेला समाज के नाम पर,,,,
ये सारी बातें स्पेशल्ली आज के
कुछ बुजुर्ग पर जो एक किलोमीटर
की लंबी जीभ निकाले मुह खोले
खड़े रहते हैं,,,
दुनिया की सारी भूंख इन बुजुर्गों की ही है,,,
अब हम इतना बोले हैं तो
हमको इ मुहर लग जाएगा कि
हम बुजुर्गों का सम्मान नहीं
करना जानते हमारे माता-पिता
ने हमें कुछ सिखाया नहीं,,
तो भईया सीधा सीधा बात है
मैं ऐसे बुजुर्गो का सम्मान नहीं
कर सकता बल्कि सामने आये
तो दो बात सूना जरूर दूंगा...
राज उपाध्याय
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