आँख भर आई जब बहन ने भेजा तो
वो इसलिए नहीं कि कविता अच्छी है
बल्कि सिर्फ इसलिए की मेरी बहन कितना
समझ चुकी है मुझे ये सोचकर आँखे काफी देर तक नहीं रुकी..
मेरी बहन "श्रद्धा" ने लिखी मेरे लिए ये कविता...
भाई मेरा अनोखे अमृत का सागर...
वो एक हस्ती है जमाने की जिसका कारवां चलता है ,
महकते हुए फूलों की क्यारियों का बागवां मचलता है,
जिसको मिलती खुशी दूसरों को हंसाकर..
भाई मेरा अनोखे अमृत का सागर....
हृदय मे स्नेह प्यार की गंगा बहा करती है,
सह्रिदयता, सरलता की बयार महका करती है,
देखकर फरिश्ते भी हँसते है खिलखिलाकर....
भाई मेरा अनोखे अमृत का सागर....
कितनी सादगी है कितना भोलापन छिपा है,
करुणा निष्ठा और तपस्या की अद्भुत शिला है,
कैसे बनाया क्या सोचकर तुझे
ये तो पूछे कोई उस ईश्वर से जाकर..
भाई मेरा अनोखे अमृत का सागर....
दीन दुखियों की रक्षा मे सदा ही खडे होते है,
औरों के दुखो में खुद भी रोते हैं,
ईश्वर ने इन्हें बनाया है सूर्य का तेज मिलाकर....
भाई मेरा अनोखे अमृत का सागर....
मां शक्ति है उनकी बडी निर्मल ममता है,
वो उन्ही के लिये जीता और उन्ही के लिए हँसता है,
खिल उठी तेरी मां तुझ जैसे बेटे को पाकर....
भाई मेरा अनोखे अमृत का सागर....
है किसी बहुमूल्य खजाने की नदी सा, ज्ञान का किनारा सा,
लिखते है वो कुछ बहुत मीठा अच्छा प्यारा सा,
धन्य हो गयी कविता कामिनी तुझको पाकर....
भाई मेरा अनोखे अमृत का सागर……
मायूस ना हो किसी मुश्किल मे यही सीखा और सिखाया है,
मुस्कुराहट की लौ जलाकर खुश रहने का तरीका बताया है,
कितनी शक्ति है कितना संयम है उनमे
जान पाये ना हम चाह से चाहकर..
भाई मेरा अनोखे अमृत का सागर……
मेहनत की प्रशन्शा करता है खुशियों की यही कहानी है,
मेहनत से सब कुछ मिलता है सफलता की यही निशानी है,
मिलता नही कुछ भी बिना जीते हारकर...
भाई मेरा अनोखे अमृत का सागर……
क्या क्या कहू मै कितना बखान करु,
शब्द है ही नही कैसे बयान करू,
कहूगी बस यही तू है अवर्नित अलौकिक
अनुपम शक्ति की चादर..
भाई मेरा अनोखे अमृत का सागर……
बहन कवित्री :- श्रद्धा पाण्डेय
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