तू चलता चल की अभी तेरी मंजील रही है पुकार ,
पतझड़ का मौसम गया अभी , आएगी अब तो बहार ,
हार न मान तू , ग़म तो है बहता पानी
आगे बढ़ता चल इसी का नाम है जीन्दगानी
क्या हुआ जो आज साथ नही तेरे ये दुनियाँ
ख़ुद ही ढूंढ तू आज अपने लिए खुशियाँ
तू अकेला ही चलता चल अगर दुनियाँ तेरे साथ नही
कठीनाइयों से घबराकर रुक जाना ये भी तो कोई बात नही
पानी की असली कीमत एक प्यासा ही समझ पाया है
अंत तक रुका है जो वीजय - ध्वज उसी ने फहराया है
कभी मुश्किलों से हार कर नीराश मत होना
जीतेगा तू मगर जीतने की आस मत खोना
मुश्कीलों से भाग कर भला कौन जीत पाया है
जिसने डरना नही सीखा है वीजय गीत उसी ने गाया है
जीवन बहता पानी है खुशी और ग़म तो आते जाते रहेंगे
मंजील तो पायेंगे वही जो हर स्थीती में मुस्कुराते रहेंगे
हर पल तू खुल के जी ले ये लम्हा तुझे बाद मे याद आएगा
फ़ीर तू लाख चाहे लेकिन इस लम्हे को वापस ला नही पायेगा
खुशियाँ बाँट और मुस्कुराता चल उसके बिना जीवन बेकार है
जीवन का यही दस्तूर है कीसी की जीत तो कीसी की हार है
तू चलता चल की अभी तेरी मंजील रही है पुकार ,
पतझड़ का मौसम गया अभी , आएगी अब तो बहार।
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