"मां"
तू सागर स्नेह का प्रेम का चंदन है ,
इस जहां मे "मां" तेरा हार्दिक अभिनंदन है.
"मणि रत्नो सी तू सुंदर है,गंगा की ज्योति स्वरूपा है"
"इस परम पावनी पृथ्वी पर तेरा जन्म अनूपा है "
तू अद्भुद अदम्य साहस का क्रन्दन है,,,,
इस जहां मे "मां" तेरा हार्दिक अभिनंदन है,,,,
"तू अलौकिक शक्ति का दिव्य प्रकाश है"
"तेरे हृदय मे वात्सल्य के स्नेह पुंज का वास है"
तू झर्ना है प्रेम का, करुणा का संगम है,,,,
इस जहा मे "मां" तेरा हार्दिक अभिनंदन है,,,,
"हिमगिरि से उच्च हृदय तेरा ,तपस्या की मूर्ति है"
"ईस संसार की रचना ,जन जीवन की पूर्ति है"
ईस दुनिया रूपी फुलवारी का करती तू सिंचन है,,,,
इस जहां मे "मां" तेरा हार्दिक अभिनंदन है,,,,
"तू चांद सी शीतल,गंगाजल सी निर्मल है"
"तुझसे ही हमारा आज, तुझसे ही हमारा कल है"
तेरे चरणो मे हमारा कोटिशह वन्दन है,,,,
इस जहां मे "मां" तेरा हर्दिक अभिनंदन है,,,,
"तेरे दामन मे सिर्फ प्यार,क्षमा,सहनशीलता के फूल है"
"हम सब तो तेरे चरणो की धूल है"
तू रुप है ईश्वर का तेरी अभिव्यक्ति अकिंचन है,,,,
इस जहां मे "मां" तेरा हार्दिक अभिनंदन है,,,,
" नयनो मे अश्रुधारा है,परंतु आत्मा मे अपार संयम है,
"तू अस्तित्व है घर का,संघर्ष कर्तव्य से लक्ष्य प्राप्ति का दर्पन है"
भगवान के भी बस का नही तेरी उपमा का वर्णन है ,,,,
ईस जहां मे"मां" तेरा हर्दिक अभिनंदन है ,,,,,
तू सागर है स्नेह का प्रेम का चंदन है,
इस जहां मे "मां" तेरा हार्दिक अभिनंदन है.
मेरी बहन लेखक:- श्रद्धा पाण्डेय