Thursday, October 2, 2014

वो यादें...

वो यादें...

वो यादें वो लम्हे वो सैतानियाँ
वो मम्मी की गोंदी की कहानियाँ

वो मस्ती वो बातें वो आपस में लड़ना
फिर पल भर में सबकी उंगलियाँ पकड़ना

वो दोस्तों के साथ में टिफिन का खाना
शाम को स्कूल से जल्दी घर पर आना

और खेलने के रंग में रंग जाना
फिर खुशियों का कहाँ होता कोई ठिकाना

गजब था वो बचपन और वो बचपन के यार
अब खो गए वो लम्हें और खो गया वो प्यार

लेखक:- राज उपाध्याय

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