Friday, April 5, 2013

मां

मै रोया यहां दूर देस वहां भीग गया तेरा आंचल.
तू रात को सोती उठ बैठी हुई तेरे दिल में हलचल..

जो इतनी दूर चला आया ये कैसा प्यार तेरा है मां.
सब ग़म ऐसे दूर हुए तेरा सर पर हाथ फिरा है मां..

जीवन का कैसा खेल है ये मां तुझसे दूर हुआ हूं मै.
वक़्त के हाथों की कठपुतली कैसा मजबूर हुआ हूं मै..

जब भी मै तन्हा होता हूँ, मां तुझको गले लगाना है.
भीड़ बहुत है दुनिया में तेरी बाहों में आना है..

जब भी मै ठोकर खाता था मां तूने मुझे उठाया है.
थक कर हार नहीं मानूं ये तूने ही समझाया है..

मै आज जहां भी पहुंचा हूँ मां तेरे प्यार की शक्ति है.
पर पहुंचा मै कितना दूर तू मेरी राहें तकती है..

छोती छोटी बातों पर मां मुझको ध्यान तू करती है.
चौखट की हर आहट पर मुझको पहचान तू करती है..

कैसे बंधन में जकड़ा हूँ दो-चार दिनों आ पाता हूँ.
बस देखती रहती है मुझको आँखों में नहीं समाता हूँ..

तू चाहती है मुझको रोके मुझे सदा पास रखे अपने.
पर भेजती है तू ये कह के जा पूरे कर अपने सपने..

अपने सपने भूल के मां तू मेरे सपने जीती है.
होठों से मुस्काती है दूरी के आंसू पीती है..

बस एक बार तू कह दे मां मै पास तेरे रुक जाऊंगा..
गोद में तेरी सर होगा मै वापस कभी ना जाऊंगा........

राज.....

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