सुबह से लेकर शाम तक अनगिनत हैप्पी दीपावली के sms और मैसेज आये हैं.. लोग खूब खुशहाली से व्हाट्सएप्प फेसबुक और भी कई सोशियल मैसेंजर के जरिये खुशियां बांट रहे हैं... msgs ऐसे ऐसे आ रहे हैं कि बस मानो सब एकदम पास में ही और हमेशा साथ ही हैं... पर क्या वाकई ये खुशियाँ हैं.?? जिन्होंने जन्म दिय्या बिना उन लोगों के साथ के दीपावली सच मे मनाई जा सकती है.?? अपनापन क्या उनके जैसा भी किसी का हो सकता है.?? कभी नही.. क्यूंकि माँ माँ ही होती है और परिवार परिवार ही होता है... इस दीपावली की चमचमाती चकाचौंध में भी खुद को आप अकेले क्यूँ पाते हैं.???अकेलेपन में खुद के खुशियों के अस्तित्व को आप कितना भी खोजें पर आपको वो वास्तविक खुशियां नसीब नही हो पाती है... कभी कभी लगता है कि ये पेट पालने के चक्कर ने हमे अपनो से हमेशा के लिए कितना अलग कर दिया है.... ये पापी पेट हम जैसे मध्यम वर्गीय लोगों के लिए अपनत्व को मिटाने में कहीं कसर नही छोड़ रहा है.. और फिर अंत मे हम इसी चकाचौंध को अपना मानते हुए इसी में रमते हुए दूसरे दिन की सुरूवात कर देते हैं और चल देते हैं अपनी उसी मंजिल पर जिसके लिए हम अपने प्रियजनों से दूर रहते हैं...
खैर जीवन संघर्ष है और संघर्ष सफलता का सूत्र.. इसीलिए बंधे रहिये इसी संघर्ष की रस्सी में और करते रहिए पूरी निष्ठा और ईमानदारी से काम.. ईश्वर हमे जरूर परिवार से पास रहने का मौका देंगे।
राज उपाध्याय
1 comment:
Nc one..n true feelings..life is a struggle..
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