ये काला आसमां ये बहती हवायें ये मचलती फिजायें ...
ये बहकती सी शाम बडी हलचल मचाये...
इसे देख दिल पागल विचलित सा हो रहा,
राहों में भटकता हुआ बंजारा बनाये...
क्या शाम है क्या मौसम है क्या अजब के नजारे हैं...
लग रहा है ऐसा सारी दुनिया खुश अपने आप में,
और हम दुनिया में अकेले हैं जो अपने आप से हारे हैं...
अजीब सी उलझन है अनकही सी उदासी है...
हम जिन्दगी की जंग के असफल प्रत्याशी हैं...
लग रहा है ऐसे जिन्दगी की दौड़ में...
परिस्थितियों के सामने लड़ने की होड़ में...
ख्वाहिशें रह गयी अधूरी अरमानों ने दम तोड़ दिया ...
तुझे एहसान ना करना पडे मुझ पर
जा तेरी खुशी के लिये मैने सपने देखना छोड़ दिया ..
बहन श्रद्धा की कलम से___
ये बहकती सी शाम बडी हलचल मचाये...
इसे देख दिल पागल विचलित सा हो रहा,
राहों में भटकता हुआ बंजारा बनाये...
क्या शाम है क्या मौसम है क्या अजब के नजारे हैं...
लग रहा है ऐसा सारी दुनिया खुश अपने आप में,
और हम दुनिया में अकेले हैं जो अपने आप से हारे हैं...
अजीब सी उलझन है अनकही सी उदासी है...
हम जिन्दगी की जंग के असफल प्रत्याशी हैं...
लग रहा है ऐसे जिन्दगी की दौड़ में...
परिस्थितियों के सामने लड़ने की होड़ में...
ख्वाहिशें रह गयी अधूरी अरमानों ने दम तोड़ दिया ...
तुझे एहसान ना करना पडे मुझ पर
जा तेरी खुशी के लिये मैने सपने देखना छोड़ दिया ..
बहन श्रद्धा की कलम से___
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