इश्क का रंग सफेद :-
इश्क का रंग बिल्कुल सफेद
जो रंग तो चढने के बाद आता है...
कहीं फीका होता है कहीं निखार लाता है...
मोहब्बत सबको रास नही आती,
हर किसी को अंजाम नही मिलता...
प्यार नसीब वालों को मिलता है,
सबको वफा का मकाम नही मिलता...
दिल की दहलीज लांघकर खुद
को इससे जोड़ लेते हैं ...
कुछ लोग ऐसे भी हैं जो मोहब्बत
के लिये मोहब्बत को ही छोड़ देते हैं...
हर प्रेम से परे है इसकी दास्तां
इसमे छिपी गहराई...
दिल की तलहटी में छलकती परछाई ....
तन्हाई , बेवफाई , रुसवाई का
किस्सा...
मुकम्मल मोहब्बत का अहम
हिस्सा ...
रूह खामोश हो जाती है सांसे
थमने लगती है...
जब ये अपने अंदाज मे बीते
संसमरनो के पन्ने पलटती है...
ये पीछा नही छोड़ती इसने
वारिफ्तगी की दुनिया भुलाई...
लाख मांगोगे रहम करोगे बख्स देने की
उम्मीद पर ये खुद से तुझे ना देगी जुदाई...
ना जाने क्यों ये दिल किसी को
प्यार करता है ...
इस गुस्ताखी के बाद स्वयं वेदना
भी सहता है ...
आती है इसके हिस्से में सिर्फ तन्हाई और तन्हाई ...
आंखें भी शिकायत करती हैं
हमसे ही की लोग मुझे इतना
क्यूं रुलाते हैं ...
प्यार वो करते हैं तो उनकी गलती है ना,
मुझे आंसुओ के सागर में क्यूं डुबाते हैं...
तू मत कर रे पागल किसी को
इतना याद...
नही तेरी चाहत की दुनिया हो
जायेगी बर्बाद...
फिर मैं भी लोगों से बहुत दूर चला जाऊंगी..
लोग बुलायेंगे मुझे और तड़पेंगे मेरे लिये भी
पर मैं फिर कभी लौट कर नही आऊंगी...
तब दुनिया वाले किसी को याद
करके रो भी नही पायेंगे...
यदि आंसू भी ना निकल पाये
उनकी आंखों से तो वे घुट घुट
कर मर जायेंगे...
रब गर कोई मोहब्बत करे तो
उसको उसका मकाम देना...
खुशियों का तोहफा प्यार का
पैगाम देना....
सारी दुनिया सारा समां ये सुन्दर जहान देना...
मोहब्बत भी तेरा ही दिया हुआ
एक प्यारा सा एहसास है...
इस दुनिया के मेले में किसी अपने की आस है...
वाकई बहुत प्यारे हैं मोहब्बत के
अफसाने...
हमे ज्यादा नही पता जिसने
किया है वो ही जाने...
दुआ है खुदा से हर बंदे को
उसका प्यार मिले...
मिले खुशियों भरा जीवन सपनो
का संसार मिले...
_._बहन श्रद्धा की कलम से_._