ऐसा लगता है कि ख्वाब ओढ़े मस्तियाँ आईं,
माँ के आँचल में जब कभी भी झपकियाँ आईं।
मैंने सूरज की गर्म किरणों का मतलब जाना,
जब से शाल ओढ़े मेरे घर पे सर्दियाँ आईं।
ऐसी चोटें भी तो बड़ी नसीब वाली हैं ,
जिनकी खातिर खुद ही चलके हल्दियाँ आईं।
उनका आकाश उन्हें माफ कभी करता नहीं,
जिस जमीं के परिन्दों में सुस्तियाँ आईं।
जिनके पाँव इस तरफ जले थे रेत के संग-संग,
उनकी खातिर ही उस तरफ से कस्तियाँ आईं।
कोई देखे तो परेशानी राजधानी की,
जब से आवाम के तेवर में तल्खियाँ आईं।
अपने बेटों के लिए बोझ बन गये 'राज',
जब से माँ-बाप के चेहरे पे झुर्रियाँ आईं।
माँ पापा से प्यार करें
माँ के आँचल में जब कभी भी झपकियाँ आईं।
मैंने सूरज की गर्म किरणों का मतलब जाना,
जब से शाल ओढ़े मेरे घर पे सर्दियाँ आईं।
ऐसी चोटें भी तो बड़ी नसीब वाली हैं ,
जिनकी खातिर खुद ही चलके हल्दियाँ आईं।
उनका आकाश उन्हें माफ कभी करता नहीं,
जिस जमीं के परिन्दों में सुस्तियाँ आईं।
जिनके पाँव इस तरफ जले थे रेत के संग-संग,
उनकी खातिर ही उस तरफ से कस्तियाँ आईं।
कोई देखे तो परेशानी राजधानी की,
जब से आवाम के तेवर में तल्खियाँ आईं।
अपने बेटों के लिए बोझ बन गये 'राज',
जब से माँ-बाप के चेहरे पे झुर्रियाँ आईं।
माँ पापा से प्यार करें
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