Wednesday, July 29, 2015

दरिंदे आतंकियों के लिए...

याकूब स्पेशल

मुझे लगता है फांसी की
सज़ा महज एक छोटी सजा है
ऐसे दरिंदे आतंकियों के लिए...

मेरा मानना है कि ऐसे लोगों को
एक साल तक खूब सरिया लाल
करके दागा(जलाया) जाए फिर
एक एक अंग काटा जाए
और नमक मिर्च लगाया जाए
फिर उसे किसी नुकीले तार से
उस पर रगड़ा जाये तब थोड़ा
सही सज़ा मानी जायेगी...

और हाँ एक अंग काट कर उस पर
लाल मिर्च डाला जाए और दस
लात भी मार जाए ऐसे लोगों को...

लास्ट दिन धीरे धीरे इनका गला
रेता जाए और उस पर कुछ जहरीला
पदार्थ डाला जाए और फिर
बीच चौराहे पर फांसी दी जाए...

आतंकी हमले में मारे गए सभी
देशवाशियों को सच्ची श्रद्धांजलि
कल सुबह सात बजे।

जय हिन्द! जय भारत!

राज___

Tuesday, July 28, 2015

हे "कलाम" देख, आज देश पूरा रो रहा,,

हश्र देख इंसा का मन को कुछ हो रहा,,
हे "कलाम" देख, आज देश पूरा रो रहा,,

आपने किया है जो,
ना कोई करेगा वो,,
देके इंसानियत को, दूर क्यों हो रहा..
हे "कलाम" देख, आज देश पूरा रो रहा..

बनाके मिसाइल विश्व में स्थान दिया,,
इस भारत का सारे जगत में है नाम किया,,
मन बहुत चिंतित है नयन खुद भिगो रहा,,
हे "कलाम" देख, आज देश पूरा रो रहा,,

देके देश को खुशियाँ, गहरी नींद सो रहा""
हे "कलाम" देख, आज देश पूरा रो रहा,,

"श्रद्धांजलि""

स्वरचित:- राज

"ओये चलती क्या साथ में"..

एक लड़की अकेली प्लेटफार्म से जा रही है..
तभी अचानक एक आवाज आती है..

"ओये चलती क्या साथ में"..

दरअसल वाकया आज सुबह का है...
मैं ट्रेन में था एक लड़का उजड्ड
टाइप का था...
वो अंदर से आया सबको रे ते
करते हुए ट्रेन के गेट पर खड़ा हो गया...

मुम्बई की लोकल ट्रेन प्लेटफार्म
पर खड़ी थी..
जैसे ही ट्रेन चालू हुयी तो लड़के
ने एक लड़की को देखते हुए
बोला..

"ओये चलती क्या साथ में"..

और यही बात वो कई लड़कियों
को बोलते रहा...

ट्रेन बस धीरे से स्टार्ट ही हुयी थी
और सब चुपचाप खड़े हैं, किसी
ने कुछ बोलने की जहमत नहीं उठाई...
कौन सुबह सुबह अपना दिमाग
ख़राब करेगा..?
लेकिन मुझसे रहा नहीं गया मैंने बोल दिया
"अरे भाई वो तेरी बहन है"..

बस फिर क्या मेरे इतना बोलते
ही लड़का भड़क गया और मुझे
मराठी में गाली देने लगा...
बात बढ़ गयी फिर भी सब शांत थे..

और वो लड़का एकदम फ़िल्मी
स्टाइल में मुझे बोला तेरी बहन है क्या.???

तुझे क्यों इतना दर्द हो रहा है..??

मैंने भी उसी लैंग्वेज में रिप्लाई किया...

अबे तेरी बहन है बोला तो...

दिमाग में बात नहीं घुस रही है क्या??

तुझे समझ में नहीं आया अभी तक..?

हालाकि लड़का अकेले था
इसीलिए मैंने उसे झड़प करने
की हिम्मत जुटाई वर्ना अकेले
कौन अपना सर फुड़वाये...

इतने में अंदर से ही कुछ मराठी
भाइयों ने सपोर्ट किया और उस
लड़के को गेट से अंदर घसीट लिया...

फिर क्या था..
लोगों ने सुबह ही उसकी जमकर धुलाई कर दी..

मुझे ख़ुशी हुयी कि सही सबक
दिया गया एक गलत इंसान को,,,

दोस्तों जिस दिन भारत के
युवाओं ने लड़कियों पर होने
वाले कमेंट के खिलाफ आवाज
बुलंद कर दी और आज की तरह
ही सबक सिखाने की ठान ली
उसी दिन से इन मनचलो का मन ठंडा हो जाएगा....

एक कहावत सुनी थी बचपन में
"लात के भूत बात से नहीं मानते"

अब ऐसे लोगों को यही उपाय सूट होगा।

राज__

Sunday, July 26, 2015

"माँ का आँचल"

माँ का आँचल,
दुनिया का सबसे सूकून वाला स्थान है,,
माँ की ममता का क्या कहना,
उनके बच्चे ही उनकी दुनिया और जहान हैं,,

माँ की खुशियाँ उनके बच्चों में होती है,,
और यही बच्चे जब बड़े हो जाते हैं तो
माँ एक कोने में बैठे रोती है...

हे ईश्वर अगर तुझमें शक्ति है तो समझा इन मूर्खो को,,
इस ममतामई करुणामयी को रुलाने वाली संतान कभी खुश नहीं होती है...

स्वरचित__ राज

"श्राद्ध" क्या है.?

👉 एक दोस्त हलवाई की दुकान पर मिल गया ।

मुझसे कहा- ‘आज माँ का श्राद्ध है, माँ को लड्डू बहुत पसन्द है, इसलिए लड्डू लेने आया हूँ '

मैं आश्चर्य में पड़ गया ।
अभी पाँच मिनिट पहले तो मैं उसकी माँ से सब्जी मंडी में मिला था ।

मैं कुछ और कहता उससे पहले ही खुद उसकी माँ हाथ में झोला लिए वहाँ आ पहुँची ।

मैंने दोस्त की पीठ पर मारते हुए कहा- 'भले आदमी ये क्या मजाक है ?
माँजी तो यह रही तेरे पास !

दोस्त अपनी माँ के दोनों कंधों पर हाथ रखकर हँसकर बोला, ‍'भई, बात यूँ है कि मृत्यु के बाद गाय-कौवे की थाली में लड्डू रखने से अच्छा है कि माँ की थाली में लड्डू परोसकर उसे जीते-जी तृप्त करूँ ।

मैं मानता हूँ कि जीते जी माता-पिता को हर हाल में खुश रखना ही सच्चा श्राद्ध है ।

आगे उसने कहा, 'माँ को मिठाई,
सफेद जामुन, आम आदि पसंद है ।
मैं वह सब उन्हें खिलाता हूँ ।

श्रद्धालु मंदिर में जाकर अगरबत्ती जलाते हैं । मैं मंदिर नहीं जाता हूँ, पर माँ के सोने के कमरे में कछुआ छाप अगरबत्ती लगा देता हूँ ।

सुबह जब माँ गीता पढ़ने बैठती है तो माँ का चश्मा साफ कर के देता हूँ । मुझे लगता है कि ईश्वर के फोटो व मूर्ति आदि साफ करने से ज्यादा पुण्य
माँ का चश्मा साफ करके मिलता है ।

यह बात श्रद्धालुओं को चुभ सकती है पर बात खरी है ।
हम बुजुर्गों के मरने के बाद उनका श्राद्ध करते हैं ।
पंडितों को खीर-पुरी खिलाते हैं ।
रस्मों के चलते हम यह सब कर लेते है, पर याद रखिए कि गाय-कौए को खिलाया ऊपर पहुँचता है या नहीं, यह किसे पता ।

अमेरिका या जापान में भी अभी तक स्वर्ग के लिए कोई टिफिन सेवा शुरू नही हुई है ।
माता-पिता को जीते-जी ही सारे सुख देना वास्तविक श्राद्ध है ॥

माँ पापा से प्यार करें 

कष्ट न देना उस भगवन को___

वो माँ ही है इस दुनिया में
जिसने तुमको पाला है,,
खुद तो भूखी रह लेगी
तुम्हे अपना दिया निवाला है,,

माँ की महिमा इस जग में
यारों बहुत निराली है,,
माँ है तो सब कुछ है यारों
माँ ममता की प्याली है...

कष्ट न देना उस भगवन को,
जिसने तुमको जन्म दिया,,
पाला पोसा उसने तुमको,
अपना पूरा करम किया,,,

अब तुम भी अपने जीवन में,
अच्छा कोई काम करो,,
अपने माँ बापू का बस तुम,
ऊँचे शिखर पे नाम करो,,
माँ पापा से प्यार करें

स्वरचित:- राज उपाध्याय

Wednesday, July 8, 2015

माँ के आँचल में जब कभी भी झपकियाँ आईं

ऐसा लगता है कि ख्वाब ओढ़े मस्तियाँ आईं,
माँ के आँचल में जब कभी भी झपकियाँ आईं।
मैंने सूरज की गर्म किरणों का मतलब जाना,
जब से शाल ओढ़े मेरे घर पे सर्दियाँ आईं।

ऐसी चोटें भी तो बड़ी नसीब वाली हैं ,
जिनकी खातिर खुद ही चलके हल्दियाँ आईं।
उनका आकाश उन्हें माफ कभी करता नहीं,
जिस जमीं के परिन्दों में सुस्तियाँ आईं।

जिनके पाँव इस तरफ जले थे रेत के संग-संग,
उनकी खातिर ही उस तरफ से कस्तियाँ आईं।
कोई देखे तो परेशानी राजधानी की,
जब से आवाम के तेवर में तल्खियाँ आईं।

अपने बेटों के लिए बोझ बन गये 'राज',
जब से माँ-बाप के चेहरे पे झुर्रियाँ आईं।

माँ पापा से प्यार करें

Saturday, July 4, 2015

मेरी माँ जग से है प्यारी...

माँ जैसा ना कोई जग में..
इसकी महिमा है रग रग में..

माँ अतुल्य है इस जीवन में..
माँ का प्रेम बसा कण कण में..

माँ ही तो चलना सिखलाये..
धूप छाँव का ज्ञान कराये..

माँ की महिमा सबसे न्यारी..
मेरी माँ जग से है प्यारी..
मेरी माँ जग से है प्यारी...

स्वरचित- राज उपाध्याय