Saturday, April 25, 2015

वो गरीब का ही बेटा था,,,,,,,

वो गरीब का ही बेटा था,,,,,,,

गुमसुम बैठ रहता था वो,
कभी न कुछ भी कहता था वो,,
वो गरीब का ही बेटा था,
सबकी बोली सहता था जो,,

भूख प्यास जब उसे सताती,,
खाली पेट नींद ना आती,,
कोई उसको कुछ भी कह दे पर सबसे दूर ही रहता था वो,,
वो गरीब का ही बेटा था सबकी बोली सहता था जो,,

समय समय पर लोग भी उसको बहुत रुलाते थे,,
निर्ममता और बेरहमी की हद पार कर जाते थे,,
घर में बीमार माँ भी उसको अपने जान से प्यारी थी,,
क्योंकि उसकी ज़िन्दगी माँ ने ही संवारी थी,,
बस इक आंसू के नइया में बैठ के बहता रहता था जो,,
वो गरीब का ही बेटा था सबकी बोली सहता था जो,,

कविता लेखक:- राज उपाध्याय

No comments: