Wednesday, March 25, 2015

""मन की बात-2""

""मन की बात"

प्यार हम जिससे करते हैं..
जिसे दिल के अंतरआत्मा में रख कर पूजते हैं..
जिसके बिना हम पल भर भी नहीं जीवित रह सकते..
हम उसी से नफ़रत भी बहुत करने लगते हैं.........

दरअसल पिछले कुछ दिनों पहले  मैंने अपने घर में रखी भगवान् की फ़ोटो तोड़ दी..
सब कुछ घर से बाहर फ़ेंक दिया..

काफी लोग बहुत नाराज हुए और मुझसे भला बुरा कहने लगे...

तुम्हे भगवान् से डर नहीं लगता...?
तुम इतने बड़े हो गए हो की भगवान् की फ़ोटो घर से बाहर फेंक रहे हो..?
अरे एक पल में तुम्हे ख़त्म कर सकते हैं वो और तुम अपने आपको बहुत बलवान समझने लगे हो..?
अरे अभी तुम बच्चे हो..
भगवान् तुम्हारी परीक्षा ले रहा है..

ऐसी बहुत सारी बातें कही लोगों ने...

कुछ मित्रों ने भी बहुत समझाया की ऐसा नहीं करना चाहिए था...
और मैं सभी लोगों की बातो को सही कह रहा हूँ, सत्य हैं, सर्वमान्य हैं सबकी बातें...
लेकिन अब मैं उन सभी परिवार जनों और मित्रों को बताना चाहूँगा की

जब मैं रोता उसके सामने हूँ..
हसता उसके सामने हूँ..
मांगता उससे हूँ..
बोलता उससे हूँ..
प्यार उससे करता हूँ...
तो अपनी नाराजगी किसके सामने दिखाऊं..?
कोई है क्या उससे बड़ा..?

नहीं न..?

तो बंधुओं प्रियजनों मेरी जगह आकर सोचो और परिस्थिति को समझो तब सब समझ आएगा...

वरना वैसे तो सब बहुत कुछ कहते रहते हैं...

मेरा मानना है कि जब सर्वशक्तिमान वो ही है तो कहीं और क्यों जाना।

***जय श्री राम***

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