Sunday, May 18, 2014

मेरी माँ


ब्रह्मा यद्यपि सृष्टि रचयिता, उससे बढ़ कर मेरी माँ,,
सृष्टा के आसन पर बैठी, मुझको घढ़कर मेरी मा,,
बेटे की माँ बन जाने का,गौरव तुमने पाया था,
हुई घोषणा थाल बजाते, छत पर छढ़कर मेरी माँ,,
मैं तो तिर्यक योनी में, घुटनों के बल चलता था,
गिरते को हर बार उठती, हाथ पकरकर मेरी माँ,,
अमृत सा पय पण कराती, आँचल की रख ओट मुझे, 
बड़ा हुआ तो खूब खिलाती, हरदम लड़कर मेरी माँ,,
किये उपद्रव तोडा फोड़ी, उपालम्ब भी खूब सहे,
किन्तु नहीं अभिशापित करती, कभी बिगड़कर मेरी माँ,,
लगती तुम ममता की सरिता, मंथर गति से जो बहती,
कभी बनी पाषाण शिला सम, आगे अड़कर मेरी माँ,,
तुम मेरी पैगेम्बर जननी, तुम ही पीर ओलिया हो.
शत शत शत प्रणाम अर्पित है, चरणों पड़ कर मेरी माँ,,,,,

Saturday, May 3, 2014

ये हैं मेरे देवर ..आधे पति परमेश्वर

शादी हुई ...
दोनों बहुत खुश थे!
स्टेज पर फोटो सेशन शुरू हुआ !
दूल्हे ने अपने दोस्तों का परिचय साथ
खड़ी अपनी साली से करवाया..

" ये है मेरी साली , आधी घरवाली "
दोस्त ठहाका मारकर हंस दिए !
दुल्हन मुस्कुराई और अपने देवर का परिचय
अपनी सहेलियो से करवाया..

" ये हैं मेरे देवर ..आधे पति परमेश्वर "
ये क्या हुआ ....?
अविश्वसनीय ...अकल्पनीय!

भाई समान देवर के कान सुन्न हो गए !

पति बेहोश होते होते बचा !

दूल्हे , दूल्हे के दोस्तों , रिश्तेदारों सहित
सबके चेहरे से मुस्कान गायब हो गयी !
लक्ष्मन रेखा नाम का एक गमला अचानक
स्टेज से नीचे टपक कर फूट गया !

स्त्री की मर्यादा नाम की हेलोजन लाईट
भक्क से फ्यूज़ हो गयी !

थोड़ी देर बाद एक एम्बुलेंस तेज़ी से
सड़कों पर भागती जा रही थी!

जिसमे दो स्ट्रेचर थे!

एक स्ट्रेचर पर भारतीय संस्कृति कोमा में पड़ी थी...

शायद उसे अटैक पड़ गया था!

दुसरे स्ट्रेचर पर पुरुषवाद घायल अवस्था में पड़ा था ...

उसे किसी ने सर पर गहरी चोट मारी थी!

आसमान में अचानक एक तेज़ आवाज़ गूंजी ....

भारत की सारी स्त्रियाँ एक साथ ठहाका मारकर
हंस पड़ी थीं !

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ये व्यंग ख़ास पुरुष वर्ग के लिए है जो खुद
तो अश्लील व्यंग करना पसंद करते हैँ
पर जहाँ महिलाओं कि बात आती हैं
वहां संस्कृति कि दुहाई देते फिरते हैं

नारी का सम्मान करे

राज