यात्रा सोमनाथ से द्वारकाधीश और नागेश्वर।।
यात्रा के अंत मे घूमने वाले जगहों और कहां कहाँ जाए किन जगहों पर रुके और कैसे पहुँचे इन सब का विवरण दिया जाएगा।
 |
ठीक पीछे सोमनाथ जी |
आइए आपको घुमाते हैं सोमनाथ फिर द्वारकाधीश और फिर नागेश्वर ज्योतिर्लिंग..
जैसा की पुराणों में मान्यता है कि अगर आप महादेव के ज्योतिर्लिंग के दर्शन करते हैं तो आपको एक आत्मिक और आध्यात्मिक ताक़त मिलती है..
तो आइए करे यात्रा साथ मे...
सोमनाथ ज्योतिर्लिंग
मैं और मेरे एक मित्र चंदन जी ने यात्रा सुरु की मुम्बई के एक बिजी स्टेशन बोरीवली से.. तारीख थी 30 सेप्टेम्बर यानी कि सोमवार की रात्रि करीब 10 बजकर 20 मिनट और ट्रैन थी सौराष्ट्र एक्सप्रेस....
हम ट्रैन से दूसरे दिन मंगलवार दिनांक 1 अक्टूबर की मध्य दोपहर करीब 4 बजे वेरावल पहुंचे.. वेरावल से हम दोनों ने बस पकड़ी और खास बात ये की बस सर्विस फ्री में थी.. बस वाले भइया ने हमसे एक रुपये भी नही लिए.. और फिर हम झूमते हुए पहुंचे सोमनाथ ज्योतिर्लिंग के करीब... अब हम ट्रैन में थके हारे आये तो हमने पहले स्नान करके फिर ध्यान करने की सोची जो कि उचित और मान्यताविधि भी है.. हमने वहाँ पर एक होटल बुक किया सिर्फ एक घंटे के लिए जिसका किराया मात्र 200 रुपये था... (हालांकि हमें 150 में भी मिल जाता परंतु ये बात हमे बाद में पता चली).. हमने मस्त में अपने आपको स्वक्ष किया और चल दिये मंदिर की ओर... अब पता चला कि मोबाइल या अन्य कोई बैग इत्यादि आप मंदिर के अंदर नही ले जा सकते फिर हमने मोबाइल के लिए पास में ही बने डिजिटल लॉकर की तरफ रुख किया और मोबाइल जमा कर दिया.. मोबाइल डिजिटल लॉकर में रखने के मात्र 10 रुपये एक घंटे के हैं और एक सुविधा ये भी है कि आपका मोबाइल चार्ज होता रहेगा.. फिर हमने बैगेज काउंटर पर बैग रखा जो कि फ्री सर्विस है और चल दिये दर्शन के लिए.. चढ़ावा लिए और लेकर जैसे जैसे हम मन्दिर में प्रवेश कर रहे थे वैसे वैसे एक सुखद अनुभूति हो रही थी... अंततः हम मंदिर में प्रवेश किये और हमने देखा हमारे महादेव का एक भव्य ज्योतिर्लिंग एक अलग सी चमक और आँखों का अलग सा रुकाव... आंखे एकटक बस ज्योतिर्लिंग पर ही टिकी हुई थी.. ऐसा क्षण महादेव मुझे हमेशा दे यही प्रार्थना उस वक़्त मन मे चल रही थी...दर्शन सम्पन्न करके हम वही मंदिर में ॐ नमः शिवाय का जप करने लगे और करीब आधा घंटे जप करने के बाद हम वहां से मंदिर परिसर में घूमने लगे.. मंदिर के पीछे ही समुन्द्र की लहर एकदम धूप में चमचमाती हुई उफान मार रही थी.. यह सब बहुत आनंदित था... वही मंदिर परिसर में पीछे एक चाचा जी ने हमे टेलिस्कोप (दूरबीन) से समुद्री सैर भी कराई वो भी सिर्फ 5 रुपये में.. उन्होंने हमें बहुत दूर दूर तक मछुआरे की बोट दिखाई और चमचमाते समुन्द्र की लहरों को भी हमने उस दूरबीन से देखा... मंदिर के बाहर भी एक मंदिर है वो भी सोमनाथ मंदिर ही है इसे पुराना मंदिर कहा जाता है जिसका जीर्णोद्धार अहिल्याबाई ने करवाया था.. अब हमने उस मंदिर का भी दर्शन किया और फिर वहां पर लगभग एक घंटे बिताए और फिर वहां से बाहर निकले और कुछ पेट-पूजा की सोची... फिर वहां से हम वेरावल स्टेशन की तरफ बढ़े क्यूंकि हमे उसी रात करीब 10:47 को वेरावल से द्वारका जाने के लिए ट्रेन भी पकड़नी थी...(आप चाहे तो वही ट्रैन सोमनाथ से भी पकड़ सकते हैं वो ट्रेन सोमनाथ से ही आती है) फिर हम वहां से वेरावल स्टेशन आये खास बात ये कि सोमनाथ मंदिर से वेरावल 7 km आने का किराया मात्रा 10 रुपये प्रति व्यक्ति था... फिर हमने भोजन ग्रहण किया और वेरावल के के AC वेटिंग रूम में पहुंच गए ये सब होते होते करीब 9 बज चुके थे.. अब हमें इंतज़ार था सोमनाथ ओखा एक्सप्रेस का.. फिर इंतज़ार खत्म और ट्रेन का सफर सुरु.. रात को ट्रेन लगभग 10:50 पर आई और हम ट्रैन में बैठते ही सो गए...
और अगले दिन 2 अक्टूबर 2019 भूतपूर्व प्रधानमंत्री श्री लालबहादुर शास्त्री जी के जन्मदिवस पर हम प्रातःकाल करीब 8 बजे कान्हा जी की नगरी द्वारका पहुंचे..
द्वारका -
 |
द्वारका पहुंचने से पहले की पवन चक्की |
 |
सुंदर दृश्य पवन चक्की और हरियाली |
स्टेशन पहुंचने से पहले पवन चक्की का मनोरम दृश्य और समुन्द्र की लहरों की चमचमाहट के साथ हरी भरी हरियाली के बीच का वो दृश्य वाकई अद्भुत था...
 |
यह है द्वारका नगरी ज़ूम करके देखेंगे तो द्वारकाधीश मंदिर दिखाई देगा। |
यहाँ पहुंचने के बाद एक अलग अनुभूति थी.. मनमोहक हवा.. ठंढी ठंढी सुबह.. कोमल चिड़ियों की मधुर चहचआहट के बीच हम निकले...
 |
द्वारका स्टेशन। |
स्टेशन से पैदल करीब 4 सौ मीटर पर हमारा होटल था... इस चार सौ मीटर की दूरी में हमने किशन कन्हैया मेरे गोपाल की नगरी में करीब 100 गौ माताओं को देखा जो एकदम अपनी मस्ती में एकदम शांत होकर रोड के इधर उधर गुजर रही थी.. मन प्रसन्न और प्रफुल्लित था.. गौ माताओं को प्रणाम करते करते हम होटल पहुंचे... हमने ऑनलाइन बुकिंग की थी तो हमे करीब 1100 में होटल मिल गया था.. (हालांकि होटल्स यहाँ काफी अधिक है तो आपको ऑनलाइन बुकिंग करने की बहुत अधिक आवश्यकता नही है पर आप अपनी सेफ्टी और सुरक्षा के हिसाब से बुक करें).... चेकइन 12 बजे था तो मैंने 200 रूपये एक्स्ट्रा देकर जल्दी चेकइन कर लिया...
हमने करीब 8:45 पर चेकइन किया और फ्रेश होकर रेडी हो लिए दर्शन यात्रा के लिए...
अब आइए आपको हम द्वारकापुरी लिए चलते हैं...
 |
द्वारकाधीश मंदिर।। |
द्वारकापुरी में हमने सबसे पहले रुख किया द्वारकाधीश मंदिर की ओर और दर्शन को लालायित हमारे पैर अपने आप तेजी से बढ़ रहे थे.. रास्ते मे हमने क्रीकलाश कुंड के दर्शन किये...
 |
क्रिकलाश कुन्ड |
फिर बढ़े द्वारकाधीश की ओर..
जैसे ही हमने द्वारकाधीश मंदिर की पताका देखी मुख अपने आप बोल उठे जय जय श्री कृष्णा.. राधे राधे.. मुरलीवाले की जय.. वृंदावन बिहारी लाल की जय... मंत्रमुग्ध हो गए जब हमने मंदिर देखा... फिर हमने चढ़ावा लिया और हम मन मे ही जयकारा लगाते हुए मंदिर के मुख्य द्वार पहुंचे तो पता चला मोबाइल इत्यादि अंदर लेकर जाना मना है.. अब फिर वापस राधे राधे करते हुए लॉकर के पास पहुचे और मोबाइल जमा किये... फिर चल दिये अपने कान्हा के दर्शन के लिए... अंदर एक लंबी कतार को पार करते हुए सांवरे सरकार के दर्शन प्राप्त किये.. वो अद्भुत दर्शन.. दर्शन मात्र से ही लगा मनमोहना ने हमें फिर से मोह लिया.. शब्दों में क्या बयां करें उस मोहन की बात बस यूँ समझिए धन्य हो गए हम दर्शन के साथ...........
 |
सांवरे सरकार का मंदिर😘 |
गोमती तट और सुदामा सेतु-
वहाँ से दर्शन के बाद मंदिर के ठीक पीछे गोमती तट पर आए यहां गोमती तट का दृश्य भी मनोरम था... नीले आसमान के नीचे नीला पानी साथ ही कही कही आसमान में बादल भी थे.. छप्पन सीढ़ियों वाला वो गोमती तट जहां सभी स्नान कर रहे थे... कोई लंबी छलांग लगा रहा तो कोई खड़े-खड़े ही डुबकियाँ लगा रहा था.. किसी ने तट पर सिर्फ हाथ पांव धुले तो कोई दूर से खड़ा होकर इस मनोरम दृश्य को निहार रहा था... तट पर मछलियाँ भी अधिक थी जो झुंड में आकर मन मोह रही थी.. लोग मछलियों को दाने खिला रहे थे और वो मग्न होकर पूछें लहरा लहरा कर खा रही थी... हम भी उन्हीं लोगों के बीच इस दृश्य का आनंद उठा रहे थे.. हमे फोटोग्राफी पसंद है तो हम अपने फोटो लेने के एंगल को बना रहे थे.. अचानक पानी लहराता हुआ आया और मुझे हल्की छींटों से भिगोता हुआ वापस चला गया.. ठंढा एकदम शीतल जल और साथ ही साथ एकदम स्वक्ष नीला जल... अहा.. बहुत ही ठंढा.. और बहुत ही शीतल...
 |
गोमती तट |
नागेश्वर ज्योतिर्लिंग-
आइए आपको ले चलते हैं नागेश्वर ज्योतिर्लिंग जो कि द्वारकाधीश से करीब 17 किलोमीटर है..
हमने सुदामा सेतु से एक ऑटो वाले चाचा को 300 रुपये में बुक किया और हम निकल लिए नागेश्वर ज्योतिर्लिंग दारूकावन की ओर..
दारूकावन नागेश्वर ज्योतिर्लिंग की तरफ बढ़ते वक़्त का जो रास्ता था वह भी पूर्ण हरा भरा... 17 किलोमीटर एकदम हरी-भरी घास और खेतों में भी एकदम हरियाली.. बादलों ने सूर्य भगवान को अपने गिरफ्त में कर लिया था जिसके कारण छांव हो गयी थी और मौसम एकदम ठंढा था.. हरे भरे क्षेत्रों के मध्य ही काफी दूर से ही 125 फ़ीट ऊंची भगवान शिव की प्रतिमा दिखाई देने लगी... उत्सुकता इतनी की बस अब ऑटो वाले भाई साहब उड़ा के ले चले.. जैसे ही हम नज़दीक पहुंचे मन और उत्सुक हो उठा था और गेट के अंदर प्रवेश करते ही वो भव्य और दिव्य भगवान शिव की प्रतिमा ने हमे गेट पर ही उतरने के लिए विवश कर दिया... हम ऑटो वाले भइया को वही रुकवा दिए और हमारी फोटोग्राफी सुरु.. और पैदल ही चल दिये मंदिर की तरफ.. हमने पहले प्रसाद लिया फिर वहाँ मंदिर के पास पहुचे और फिर महादेव के ज्योतिर्लिंग की तरफ बढ़े.. वहां भीड़ बहुत अधिक न होने के कारण हम आसानी से कतार में लगे रहे.. लोगों से हर हर महादेव के हुंकार भरवाते हुए पहुँचे ज्योतिर्लिंग के सामने और फिर क्या था मन और आत्मा दोनो एक साथ बोले हर हर महादेव शिव सम्भो.. महादेव महादेव का उच्चारण सुरु... और साथ ही महामृत्युंजय मंत्रोउच्चारण भी सुरु.. सम्पूर्ण दर्शन के बाद बाद हम लोग वहां से वापस मन्दिर के अंदर ही आकर बैठ गए... काफी देर तक जप करने के बाद हम वापस बाहर निकले और मंदिर के बाहर ही शिव परिवार मन्दिर भी है वहां दर्शन के बाद हम वहां से शनि भगवान के दर्शन करके निकले...
ये थी मेरी यात्रा।।
अब कुछ जरूरी जानकारियां..
सोमनाथ ज्योतिर्लिंग
वायु मार्ग- सोमनाथ से 55 किलोमीटर स्थित केशोड नामक स्थान से
सीधे मुंबई के लिए वायुसेवा है। केशोड और सोमनाथ के बीच बस व
टैक्सी सेवा भी है।
रेल मार्ग- सोमनाथ के सबसे समीप वेरावल रेलवे स्टेशन है, जो वहां से मात्र सात किलोमीटर दूरी पर स्थित है।
मुम्बई से सोमनाथ के लिए डायरेक्ट सौराष्ट्र एक्सप्रेस ट्रैन है जो रात्रि 10 बजे मुम्बई से रवाना होती है और दूसरे दिन लगभग 18 घंटे के सफर के बाद आपको शाम 4 बजे वेरावल पहुंचाती है.. मुम्बई से वेरावल का किराया लगभग स्लिपर 500 और 3AC 1250 रुपये है।
अहमदाबाद व गुजरात के अन्य स्थानों का सीधा संपर्क भी है।
यहां रुकने की उत्तम व्यवस्था है, यहां AC NON-AC होटल्स आपको कम से कम 800 से 1000 रुपये में डबल बेड मिल जाते हैं।
सोमनाथ में कहाँ कहाँ जाएं.???
आप यहाँ कई तीर्थस्थलों पर जा सकते हैं जिनमे से
मुख्य तीर्थस्तथल ये है👇
1- सोमनाथ मंदिर
2- त्रिवेणी घाट
3- पंच पांडव गुफा
4- लक्ष्मी नारायण
5- गीता मंदिर
6- परशुराम मंदिर
7- सूरज मंदिर
8- देहोत्सर्ग तीर्थ
नागेश्वर ज्योतिर्लिंग और द्वारकाधीश..
सोमनाथ दर्शन सम्पन्न करके के बाद आप वहां से डायरेक्ट
कैब या ट्रैन से नागेश्वर ज्योतिर्लिंग के लिए प्रस्थान कर सकते हैं।
रेल मार्ग- वेरावल से द्वारका के लिए डायरेक्ट ट्रैन है, आप वेरावल
से अगर रात की ट्रेन लेते हैं तो आप सुबह-सुबह द्वारका पहुँच जाएंगे। (विवरण ऊपर लिखा हुआ है)
आप चाहें तो द्वारका से पूरे दिन के लिए कैब बुक करके आप नागेश्वर ज्योतिर्लिंग और साथ ही आप और भी कई पुण्य स्थल पर जा सकते हैं। पूरे दिन के ट्रिप के लिए एक कैब लगभग 1500 से 2000 रुपये में बुक होती है।
अगर आप कम से कम पैसे में जाना चाहते हैं तो आप दोपहर 2 बजे से सब्जी मंडी के पास से बस सर्विस ले सकते हैं, बस सर्विस में आपसे 100 रुपये प्रति व्यक्ति किराया लेते हैं और उसी में आपको निम्लिखित स्थानों के दर्शन कराते हैं। यह बस सर्विस आपको 2 बजे से सुरु होकर शाम 7 बजे वापस उसी स्थान पर छोड़ती हैं।
द्वारका के कुछ मुख्य तीर्थस्थल
1- नागेश्वर ज्योतिर्लिंग
2- बेट-द्वारका
3- द्वारकाधीश मंदिर
4- गोपी तालाब
5- रुक्मणि मंदिर
फिर मिलेंगे अगले यात्रा में🙏
।।जय शिव संभू जय श्री कृष्णा।।