Monday, March 28, 2016

मुझे देख कर आप हँसते क्यों हैं भाई

~मुझे देख कर आप हँसते क्यों हैं भाई~

वाकया है मुम्बई के अँधेरी स्टेशन पर
भेल बनाने वाले भाई साहब का..

दरसल मैं जब भी शाम को अँधेरी
स्टेशन उतरता हूँ तो भेल वाले बंधु
से एक मीठा भेल जरूर खाता हूँ,,,

ऐसे ही जब मैं वहाँ पहुँचता हूँ तो वो
हंस देते हैं...

मैंने एक दिन पूछा कि
"मुझे देख कर आप हँसते क्यों हैं भाई"

तो बंधू ने रिप्लाई दिया
"पता नहीं भाई बस ऐसे ही हंस देता हूँ"

मैंने फिर मुस्कराते हुए पूछा..
फिर भी क्यों हंस देते हो भाई कोई तो
कारण होगा..?
उन्होंने कहा नहीं भाई कोई कारण नहीं है
मैं बस ऐसे ही हंस देता हूँ...

फिर मैंने भेल लिया और वहां से खाते
हुए घर की तरफ निकल आया..
लेकिन उनसे सवाल करने के बाद मैं मन
ही मन खुश हो रहा था और मुझे पता था
वो भाई क्यूँ हँसते हैं लेकिन वो समझ नहीं
पा रहे थे या यूँ समझिये उनके पास भीड़
रहती है तो समय नहीं रहा होगा जवाब का...

दरसल मेरी एक आदत है मैं हमेशा हँसते
हुए मिलता हूँ शायद वो इसीलिए हंस देते
हैं क्यूंकि मैं उन्हें देखते ही मुस्कुराने लगता
हूँ और वो तुरंत हँसते हुए भेल बनाने लगते है...

दोस्तों मैं ये पोस्ट ना लिखता but सोचा लिख दूँ...

आप सब भी हमेशा हँसते हुए मिलो लोगों से..
किसी के चेहरे पर मुस्कान ला देना बहुत अच्छी बात है..

हँसते रहो हंसाते रहो..
जीवन को सुखद बनाते रहो..

।।जय राम जी की।।

राज उपाध्याय





~दोस्ती~



~दोस्ती~

~ ~बहुत छोटा लेकिन हद से भी ज्यादा बड़ा शब्द~ ~

दोस्ती शादी से पहले बहुत अच्छे से निभा पाते हैं..
शादी होते ही कुछ दोस्त जोरू के गुलाम बन जाते हैं...

माना की ज़िन्दगी में बहुत महत्वपूर्ण होती है ये जिम्मेदारी..
लेकिन इतना भी नहीं कि भूल जाओ दोस्ती की ईमानदारी..

एक दोस्त ने कहा कि "राज" सही बात है
परिवार को समय देना चाहिए..
मैंने कहा हाँ भई अवश्य देना चाहिए..
हम कहते हैं पहले आप घर में माँ-पापा
भाई बहन को 100% से 40% समय देते थे
और दोस्त को 20% देते थे और बाकी
के 40% जॉब पर तो अब 20% ना सही
10% ही समय दो लेकिन समय दो जरूर..

गुलाम बनो.. लेकिन जैसे बीवी के बन
रहे हो वैसे माँ बाप के भी बनो तो सही लगे..

अब 10% क्या पॉइंट 01% भी समय नहीं हैं
उस दोस्त के लिए जो तुम पर जान छिड़कता हो..

लेकिन अब समझ आया इस फरेबी
दुनिया में मीठा बोलकर भी ठगा जाता है..

यार बड़ा प्यारा रिश्ता है इसे दागदार ना किया जाए..
इसे ऐसे ही प्यारा सा मीठा सा रहने दिया जाए..

दुनिया में सच्चे दोस्त बहुत कम मिलते हैं..

यहाँ सच्ची दोस्ती के प्यारे फूल बहुत कम खिलते हैं.. 

निभाओ इसे है जब तक जान..

नहीं होता कोई रिश्ता इससे महान..

""बीवी के पल्लू के बाहर भी दुनिया है मेरे दोस्त...
अभी से देख लीजिये कहीं ऐसा ना हो जब जरुरत
पड़े तब बहुत देर हो जाए""..

मैं थोड़ी अपनी भी तारीफ़ कर देता हूँ..
मैं बहुत गंभीर रहता हूँ इस रिश्तों कि दुनिया में..
जो मुझे जानते हैं वो ये भी जानते हैं की मैं कैसे
निभाता हूँ हर रिश्ते को..
चाहे वो दोस्ती हो या फिर कोई और रिश्ता...
मैं किसी भी कीमत पर अपने साथ जुड़े हुए हर
रिश्तों को बनाकर रखने की हर संभव कोशिश करता हूँ..

लेकिन मेरा एक दोस्त इसे पागलपन समझता है..
वो कहते हैं ना कि जब तक अपने पास कुछ
होता है तब तक क़द्र नहीं करते लेकिन
जब वह दूर होता है तो सब समझ आता है...

सभी को एक सलाह है दोस्तों हर चीज लिमिट में करो
बस प्रेम को छोड़कर क्यूंकि प्रेम अनलिमिटेड ही करना चाहिए..
और दोस्ती उतने तक रखो कि अगर दोस्त वक़्त और हालात
का बहाना लेकर बदल भी जाए तो आपको दुःख ना हो..
वर्ना ये ऐसी पीड़ा है कि इंसान बहुत टूटने लगता है...

मेरे एक दोस्त को लगता है कि वो इमोशनल होकर
बोल देते है तो मैं नहीं समझ पाता..
मेरे सखा, मेरे मित्र, समझता तो मैं हर बात हूँ बस अनजान
बना रहता था कि हो सकता है अब समझ जाओ आप लेकिन
आप मदमस्त हैं मदमस्त ही रहिये.. खुश रहिये..

दोस्तों इस भीड़ भरी दुनिया में
रिश्ते बनाना मत सीखो बल्कि जो हैं उन्हें निभाना सीखो..

एक बदलते हुए दोस्त को समर्पित।

राज उपाध्याय 

Friday, March 11, 2016

तू मेरी है तो मुझे होने का पता दिया कर..

जलाके शाम से इस तरह मत भुला दिया कर..
चराग़ हूँ मैं मुझे सुबह में बुझा दिया कर..

ज़मीं-ए-इश्क़ से काट कर मैं रह नहीं सकता..
मुझे उखाड़ मगर फिर वहीँ लगा दिया कर..

गले लगा के मुझे प्यार कर झगड़ मुझसे
तू मेरी है तो मुझे होने का पता दिया कर..

मैं तेरे पास बहोत थक थका के आता हूँ..
तू अपनी गोद में लेकर मुझे सुला दिया कर..

मैं चाहता हूँ के बंट जायें तेरे सुबह के काम
अगर मैं सोया रहूँ तो मुझे जगा दिया कर..

तमाम दिन मैं गुज़ारू तेरे ख़ुमार के साथ
मैं घर से चलने लगूँ तो मुझे नशा दिया कर..

तेरी पनाह के बाहर हैं हादसे मेरी जान
मैं तुझसे बिछडु तो माँ की तरह दुआ दिया कर..

छुपा के अपनी निगाहों में हर घड़ी मत रख,
कभी कभार मुझे तू कहीं गंवा दिया कर...