आज तुम्ह्राई बात चली तो
छड भर को कुछकह ना पाया..
हाथ छुडाकर कहाँ चली माँ
मैने तुझको बहुत रूलाया ...
गोदी तेरी पालना थी माँ
झुला झुला तू लोरी गाती...
बिलख बिलख जो मै रोता तो
माँ तेरी ऑखे भर आती ...
नही बिलख कर रोऊगा अब
रो उठेगा तेरा साया ....
हाथ छुडाकर कहाँ चली माँ
मैने तुझको खूब रूलाया....
मेरी उगली कलम पकडती
लिखती पहला अक्षर अम्मा ...
मै सम्भाल के बैठा अब भी
तेरी गीता तेरा चश्मा माँ....
तेरे निष्कर्म कर्म को हमने
जीवन मे अपनाया ....
हाथ छुडाकर कहाँ चली माँ
मैने तुझको खूब रूलाया....
राजा रानी लाल बुझक्कड
तरह तरह की कथा सुनाती .....
हूँ हूँ कर मै सो जाता
चुम्मा कर तू सो जाती....
माँ तेरे चुम्मे को तरसू
धन चाहे लाखो हो पाया....
हाँथ छुडाकर कहाँ चली माँ
मैने तुझको खूब रूलाया ....
फटी हुई गुदडी को ओडे
स्पर्स तेरा मै पाना चाहू...
अपने बच्चे को देखा तो
हस ना पाया रो ना पाया....
हाथ छुडाकर कहाँ चली माँ
मैने तुमको खूब रूलाया.....
आज तुम्हारी बात चली तो
छड भर को कुछ कह ना पाया..
हाथ छुडाकर कहाँ चली माँ..
मैने तुझको खूब रूलाया .....
____राज जौनपुरी
छड भर को कुछकह ना पाया..
हाथ छुडाकर कहाँ चली माँ
मैने तुझको बहुत रूलाया ...
गोदी तेरी पालना थी माँ
झुला झुला तू लोरी गाती...
बिलख बिलख जो मै रोता तो
माँ तेरी ऑखे भर आती ...
नही बिलख कर रोऊगा अब
रो उठेगा तेरा साया ....
हाथ छुडाकर कहाँ चली माँ
मैने तुझको खूब रूलाया....
मेरी उगली कलम पकडती
लिखती पहला अक्षर अम्मा ...
मै सम्भाल के बैठा अब भी
तेरी गीता तेरा चश्मा माँ....
तेरे निष्कर्म कर्म को हमने
जीवन मे अपनाया ....
हाथ छुडाकर कहाँ चली माँ
मैने तुझको खूब रूलाया....
राजा रानी लाल बुझक्कड
तरह तरह की कथा सुनाती .....
हूँ हूँ कर मै सो जाता
चुम्मा कर तू सो जाती....
माँ तेरे चुम्मे को तरसू
धन चाहे लाखो हो पाया....
हाँथ छुडाकर कहाँ चली माँ
मैने तुझको खूब रूलाया ....
फटी हुई गुदडी को ओडे
स्पर्स तेरा मै पाना चाहू...
अपने बच्चे को देखा तो
हस ना पाया रो ना पाया....
हाथ छुडाकर कहाँ चली माँ
मैने तुमको खूब रूलाया.....
आज तुम्हारी बात चली तो
छड भर को कुछ कह ना पाया..
हाथ छुडाकर कहाँ चली माँ..
मैने तुझको खूब रूलाया .....
____राज जौनपुरी